कामसूत्र के मुताबिक इस पद्धति से होती है पुत्र प्राप्ति
हिन्दू सनातन धर्म में किसी भी दाम्पत्य के ज़िंदगी में पुत्र का होना अत्यंत जरूरी माना गया है।पुरातन काल से ही पुत्र प्राप्ति की परंपरा संसार में रही है। जहां पुत्र बुढ़ापे में दम्पति का सहारा बनता है तो वहीं, उनके कुल को आगे ले जाता है क्यूंकि पुत्रियां विवाह के बाद अपने ससुराल चली जाती हैं।इस तरह से कुल को आगे बढ़ाने व बुढ़ापे में अपने सहारा के लिए हर दम्पति पुत्र की कामना करता है।पर पुत्र व पुत्री दोनों का जन्म होना प्राकृतिक है। लेकिन कामसूत्र के रचियता महर्षि वात्स्यायन में पुत्र प्राप्ति के लिए एक खास सम्भोग प्रक्रिया के बारे में बताया है।
महर्षि वात्स्यायन ने एक अनोखा नियम दिया है। उन्होंने अपने पुत्र प्राप्ति के लिए दम्पति के लिए सहवास करने का एक नियम दिया। इस नियम के अनुसार महिला पार्टनर को हमेशा अपने पति के लेफ्ट साइड में बेड पर सोना चाहिए। थोड़ी देर बाद बाईं करवट लेटने से दायां स्वर व दाहिनी करवट लेटने से बायां स्वर चालू हो जाता है। ऐसे में दाईं ओर लेटने से पुरुष का दायां स्वर चलने लगेगा वबाईं ओर लेटी हुई स्त्री का बायां स्वर चलने लगता है। जब ऐसा होने लगे तब सेक्स करना चाहिए।इस स्थिति में गर्भाधान हो जाता है।
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