CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करते हुए वेंकैया नायडू ने दिये ये 5 अहम कारण

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दलों के महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा के चेयरमैन एम वैंकया नायडू ने खारिज कर दिया है. विपक्षी दलों ने सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ पांच आधार पर कदाचार के आरोप लगाए थे. इन आरोपों को एक एक कर खारिज करते हुए वैंकया नायडू ने विपक्षी दलों पर सवाल उठाए. नायडू ने कहा कि यह तकनीकी तौर पर किसी भी तरह से मंजूर करने लायक नहीं है. जानकारों से मशविरे के बाद पाया गया कि नोटिस न तो वांछनीय है और न ही उचित.

विपक्ष के सभी आरोपों को नायडू ने किया खारिज

1. उपराष्ट्रपति ने महाभियोग प्रस्ताव खारिज किये जाने के 22 कारण बताए हैं. प्रेस कांफ्रेंस पर सवाल उठाते हुए नायडू ने 20वें प्वाइंट में कहा, ”विपक्षी दलों ने 20 अप्रैल 2018 को महाभियोग प्रस्ताव सौंपे जाने के ठीक बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. यह संसदीय गरिमा के खिलाफ है. प्रेस कांफ्रेंस में सीजेआई के खिलाफ कई आरोप लगाए गए. यह सीजेआई के पद की अहमियत कम करने वाला और अनुचित है. नियमानुसार इस तरह के किसी भी मामले में लगाये गये आरोपों की जांच पूरी होने और सदन में नोटिस पेश किये जाने तक मामले के तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.”

2. वेंकैया नायडू ने कहा कि हमने संविधान में मौजूद महाभियोग के प्रावधान पर गौर किया. उन्होंने कहा, ”हमने महाभियोग के प्रस्ताव के सभी पांच आरोपों पर गौर किया. संविधान के अनुच्छेद 124 (4) के मुताबिक सीजेआई के खिलाफ कदाचार के पांच आरोप नहीं टिकते हैं. इसके आधार पर हम महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को नहीं स्वीकार कर सकते हैं.”

3. विपक्षी दलों ने चार वरिष्ठ जजों के आरोपों के आधार पर पीठ आवंटन को लेकर चीफ जस्टिस पर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि संवेदनशील मामलों को कुछ चुनिंदा जजों के पास भेजा गया है. इस दलील पर वेंकैया नायडू ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुका है कि ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ सीजेआई ही हैं. 14 नवंबर 2017 के कामिनी जायसवाल बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीठ के आवंटन पर सीजेआई को फैसला लेने का पूरा अधिकार है.

4. प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कथित संबंधों को लेकर वेंकैया नायडू ने कहा, जो आरोप लगाए गए हैं इसका काफी कमजोर आधार है. बगैर आधार के संसद सदस्यों ने आरोप लगाए. विपक्ष का कहना है कि प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट के मामले में संबंधित व्यक्तियों को गैरकानूनी लाभ दिया गया. इस मामले को प्रधान न्यायाधीश ने जिस तरह से देखा उसे लेकर सवाल है. यह रिकॉर्ड पर है कि सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है.

5. वेंकैया नायडू ने कहा, मैंने महाभियोग के प्रस्ताव पर कानून के विशेषज्ञ, संविधान विशेषज्ञों, राज्य सभा, लोकसभा के पूर्व महासचिवों और मशहूर न्यायविदों से चर्चा की. उन्होंने कहा कि इसमें लगाये गये आरोपों का गंभीरता और सावधानीपूर्वक विश्लेषण के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘‘हम व्यवस्था के किसी भी स्तंभ को विचार, शब्द या कार्यकलापों के द्वारा कमजोर करने की अनुमति नहीं दे सकते.’’

कांग्रेस सहित सात दलों ने न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए शुक्रवार को उपराष्ट्रपति नायडू को नोटिस दिया था. विपक्षी दलों के 71 सदस्यों के हस्ताक्षर वाले इस नोटिस पर नायडू ने कल संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और पूर्व विधि सचिव पी. के. मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली थी. नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों में 64 वर्तमान सदस्य हैं जबकि सात सदस्य अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button