CJI महाभियोग: नायडू के फैसले के खिलाफ SC पहुंचे कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसद

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का मामला शांत पड़ता नहीं दिख रहा. कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसदों ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के द्वारा महाभियोग प्रस्ताव को ठुकराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इस मामले को कपिल सिब्बल समेत कई अन्य वकीलों ने जस्टिस चेलमेश्वर की कोर्ट में उठाया.

जस्टिस चेलमेश्वर ने इस मामले में कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण से कहा है कि अगर याचिका का नंबर नहीं आता है तो वह चीफ जस्टिस के पास जा सकते हैं. वकीलों का कहना है कि जब मामला चीफ जस्टिस से जुड़ा हो तो वह उनके पास मामला नहीं ले जा सकते हैं. जस्टिस चेलमेश्वर ने सभी से कल (मंगलवार) इस मामले को लाने को कहा है. ये याचिका अमि याज्ञनिक और प्रताप सिंह बाजवा की ओर से दायर की गई है.

आपको बता दें कि कांग्रेस समेत 7 राजनीतिक पार्टियां चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग का प्रस्ताव लेकर आई थीं. जिसे राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया था.

वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि चीफ जस्टिस के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग ना ही उचित है और ना ही अपेक्षित है. इस प्रकार का प्रस्ताव लाते हुए हर पहलू को ध्यान में रखना चाहिए. इस खत पर सभी कानूनी सलाह लेने के बाद ही मैं इस प्रस्ताव को खारिज करता हूं.

इन पांच आधारों पर लाया गया था महाभियोग

कांग्रेस पार्टी ने महाभियोग प्रस्ताव लाने के पीछे 5 कारण बताए थे. कपिल सिब्बल ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि न्यायपालिका और लोकंतत्र की रक्षा के लिए ये जरूरी था.

1. मुख्य न्यायाधीश के पद के अनुरुप आचरण ना होना, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप. इसमें मुख्य न्यायाधीश का नाम आने के बाद सघन जांच की जरूरत.

2. प्रसाद ऐजुकेशन ट्रस्ट का सामना जब CJI के सामने आया तो उन्होंने CJI ने न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया को किनारे किया.

3. बैक डेटिंग का आरोप.

4. जमीन का अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करना.

5. कई संवेदनशील मामलों को चुनिंदा बेंच को देना.

 

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