CWG: बबीता फोगाट के साथ हुआ ‘दंगल’ जैसा सीन, महावीर नहीं देख पाए बिटिया का मैच

गोल्ड कोस्ट (ऑस्ट्रेलिया)। फिल्म दंगल का एक सीन सबको याद होगा जिसमें महावीर फोगाट की भूमिका निभा रहे आमिर खान अपनी बेटी गीता को मेडल जीतते हुए नहीं देख पाते हैं क्योंकि उन्हें गीता के कोच ने कमरे में बंद करवा दिया था. लेकिन गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में असल जिंदगी के महावीर फोगाट और बबीता के पिता के साथ भी कुछ ऐसा ही वाकया हुआ.

दरअसल यहां महावीर फोगाट को कमरे में बंद करने के लिये कोई असंतुष्ट कोच नहीं था लेकिन महावीर फोगाट तब भी अपनी बेटी बबीता का कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने तक के अभियान के साक्षी नहीं बन पाये क्योंकि वह मुकाबला स्थल तक पहुंचने का टिकट हासिल नहीं कर पाये थे.

इस दिग्गज कोच, जिनकी जीवनी पर फिल्म ‘दंगल’ बनी है, यहां मौजूदा चैंपियन बबीता (53 किग्रा) का मुकाबला देखने के लिये आये थे. लेकिन जब उनकी बिटिया करारा स्पोर्ट्स एंड लीजर सेंटर में अपना मुकाबला लड़ रही थी तब उन्हें बाहर इंतजार करना पड़ा. इस पूरे घटनाक्रम से दुखी बबीता ने कहा, ‘मेरे पिताजी पहली बार मेरा मुकाबला देखने के लिये आये थे लेकिन मुझे दुख है कि सुबह से यहां होने के बावजूद वह टिकट हासिल नहीं कर पाये.’

ऑस्टेलियाई टीम ने की मदद

बबीता ने कहा, ‘एक खिलाड़ी दो टिकट का हकदार होता है लेकिन हमें वे भी नहीं दिये गये. मैंने अपनी तरफ से बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें बाहर बैठना पड़ा. वह यहां तक कि टीवी पर भी मुकाबला नहीं देख पाये.’ महावीर फोगाट आखिर में तब अंदर पहुंच पाये जब ऑस्ट्रेलियाई कुश्ती टीम बबीता की मदद के लिये आगे आयी और उन्होंने उसे दो टिकट दिये.

सिल्वर मेडल विजेता बबीता ने कहा, ‘जब मैंने आस्ट्रेलियाई टीम से दो पास देने के लिये कहा, तब वह अंदर आ पाये. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने मेरी उन्हें एरेना तक लाने में मदद की. मैंने आईओए से लेकर दल प्रमुख तक हर किसी से मदद के लिये गुहार लगायी. मैं कल रात दस बजे तक गुहार लगाती रही हालांकि आज मेरा मुकाबला था और मुझे विश्राम करने की जरूरत थी.’ उन्होंने कहा, ‘इससे बहुत बुरा लगता है. मैंने दल प्रमुख सहित हर किसी से बात की थी.’

दल प्रमुख विक्रम सिसौदिया ने कहा कि पहलवानों के लिये जो टिकट थे उन्हें उनके कोच राजीव तोमर को दिया गया था और इन्हें बांटना उनकी जिम्मेदारी थी. उन्होंने कहा, ‘हमें कॉमनवेल्थ गेम्स महासंघ से जो टिकट मिले थे, हमने उन्हें संबंधित कोच को दे दिया था. हमें कुश्ती के 5 टिकट मिले थे जो हमने तोमर को दे दिये थे. मुझे नहीं पता कि उसे टिकट क्यों नहीं मिल पाया. लगता है कि मांग काफी अधिक थी.’

एक टिकट का सवाल…

बबीता से जब पूछा गया कि जब माता-पिता को एक्रीडिएशन दिलाने की बात आती है तो क्या सभी खिलाड़ियों के साथ समान रवैया अपनाया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘पहली बार मेरे पिताजी इतनी दूर मेरा मुकाबला देखने के लिये आये थे. मुझे दुख है कि उन्हें इंतजार करना पड़ा.’ बबीता ने कहा, ‘मुझे इसकी परवाह नहीं कि उन्हें एक्रीडिएशन मिलता है या नहीं, मेरे लिये तो यह केवल एक टिकट का सवाल था. वह कम से कम मुकाबला तो देख सकते थे.’

बबीता ने शटलर साइना नेहवाल की अपने पिता को सभी क्षेत्रों में पहुंच रखने वाला एक्रीडिएशन नहीं देने पर खेलों से हटने की धमकी के संदर्भ में कहा, ‘लेकिन एक खिलाड़ी के माता-पिता को एक्रीडिएशन मिलता है तो दूसरों को भी मिलना चाहिए. केवल एक खिलाड़ी को ही यह सुविधा क्यों दी गयी.’

गोल्ड से चूकीं बबीता

बबीता फाइनल मुकाबले में डायना की तकनीक के आगे कमजोर नजर आईं. डायना ने पहले ही भारतीय पहलवान पर दबाव बनाते हुए एक अंक हासिल किए. इसके बाद बबीता ने डायना पर अपनी पकड़ बनाते हुए दो अंक बटोरे, लेकिन यहां जजों ने डायना को भी दो अंक दिए और उन्होंने फिर 3-2 से बढ़त बना ली है. बबीता ने मौका हासिल करते हुए डायना के पैर पकड़ उन्हें पलटने की कोशिश की, लेकिन यहां डायना ने दांव मारते हुए बबीता को ही पलटकर दो और अंक हासिल किए और अंत में 5-2 से स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया और बबीता को रजत पदक से संतोष करना पड़ा.

 

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