ED के लिए आसान नहीं होगा ब्रिटेन से नीरव मोदी को वापस लाना, जानिए क्या है वजह?

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को हजारों करोड़ के पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी और हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए पीएमएलए के तहत कार्रवाई शुरू करने की इजाजत मुंबई की एक अदालत से मिल गई है, लेकिन क्या ईडी नीरव को स्वदेश लाने में कामयाब हो पाएगी.

कुछ दिन पहले एक ब्रिटिश अखबार ने यह खुलासा किया था कि नीरव मोदी उस समय लंदन में ठहरा हुआ था जब भारत में उसकी तलाश की जा रही थी. ईडी को यह अनुमति ब्रिटेन के लिए ही मिली है.

ईडी मुंबई स्थित कोर्ट के आदेश को अब विदेश मंत्रालय में पेश करेगी जिसे वह ब्रिटेन के संबंधित मंत्रालय के पास भेजेगा. भारतीय अदालत की ओर से ईडी को नीरव के प्रत्यर्पण को लेकर अपने स्तर पर कार्रवाई शुरू करने की इजाजत तो मिल गई है, लेकिन आगे की राह उसके लिए आसान नहीं दिख रही.

भारत ने दिखाई थी दरियादिली

आजादी के बाद भारत के ब्रिटेन के साथ रिश्ते अच्छे रहे हैं, लेकिन भारतीय वांछितों को छोड़ने को लेकर ब्रिटेन ने कभी दया नहीं दिखाई है. नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को लेकर भारत ब्रिटेन से गुजारिश करेगा कि वह उन्हें भारत जाने को कहे, जिससे उस पर 13 हजार करोड़ से ज्यादा ऋण नहीं चुकाने के मामले में केस चलाया जा सके.भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में प्रत्यर्पण की संधि हुई और यह नवंबर, 1993 से अस्तित्व में आया. दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि लागू होने के बाद भारत ने इस मित्र देश के प्रति सहानुभूति दिखाई और कत्ल के आरोपी को जल्द ब्रिटेन को सौंप दिया.

बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद अब्दुल शाकुल कत्ल के मामले में दोषी था और ब्रिटेन में वह वांछित था तथा उसकी तलाश की जा रही थी, लेकिन उसके भारत में छिपे होने के बाद भारत ने संधि के तहत व्यवहार किया और उसे ब्रिटेन के हाथों सौंप दिया.

इंग्लैंड ने नहीं किया सहयोग

हालांकि भारत के उलट ब्रिटेन ने इतनी सदाशयता नहीं दिखाई क्योंकि प्रत्यर्पण के पिछले 2 आवेदनों को वह ठुकरा चुका है. फिलहाल भारत ने अभी तक ब्रिटेन के सामने करीब 19 प्रत्यर्पण की अर्जियां दी हैं, इसके अलावा 53 LR भी दिए गए हैं.

भारत नीरव मोदी से पहले शराब व्यापारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटेन से अनुरोध कर चुका है, हालांकि वहां के स्थानीय अदालत में अभी केस चल रहा है. लेकिन अब तक उसे भारत को नहीं सौंपा गया.

भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज नहीं चुकाने के मामले में विजय माल्या भारत में वांछित है और मार्च 2016 से ब्रिटेन में स्वनिर्वासित जीवन जी रहा है. माल्या को पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने भारत सरकार के अनुरोध पर गिरफ्तार किया था लेकिन तुरंत ही रिहा कर दिया. फिलहाल माल्या जमानत पर चल रहे हैं.

इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में ब्रिटेन की एक अदालत ने कुख्यात क्रिकेट बुकी संजीव कुमार चावला के प्रत्यर्पण के भारतीय अनुरोध को खारिज कर दिया था.

इसके अलावा ब्रिटेन 90 के दशक के शुरुआती सालों में बैंकों के फ्रॉड के मामले में आरोपी जतिंदर अंगुराला के 2 अलग-अलग मामलों में प्रत्यर्पण के अनुरोध को ठुकरा दिया. उन पर 1990 से 93 के बीच सरकारी बैंकों के साथ 24 हजार पॉउंड्स के हेराफेरी का आरोप है.

हालांकि चावला के केस में भारत सरकार की ओर से ब्रिटेन की ऊपरी अदालत में भी फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी गई है, जिस पर फैसला आना बाकी है.

नीरव मोदी, विजय माल्या, चावला और अंगुराला के अलावा 5 ऐसे मामले और भी हैं जिनको लेकर भारत ने ब्रिटेन की अदालतों से उन्हें प्रत्यर्पित करने को लेकर अनुरोध कर चुका है, लेकिन मामला अभी लंबित है. भारत को जिन 5 लोगों की तलाश है वो हैं राजेश कपूर, टाइगर हनीफ, अतुल सिंह, राज कुमार पटेल और शायक सादिक.

MoU पर नहीं बन सकी रजामंदी

दूसरी ओर, 2016 में दोनों देशों के बीच अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर एक एमओयू पर साइन होने थे, लेकिन तकनीकी कमियों के कारण यह नहीं हो सका. इस मुद्दे को ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी भारत के सामने उठाया था. उन्होंने कहा था कि इस संधि के साथ हम उन लोगों को जल्द भारत वापस भेज सकते हैं जो अवैध रूप से रह रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार, अगर इस संधि पर बात बनती है तो करीब 50 हजार भारतीयों को ब्रिटेन छोड़ना पड़ेगा, जिसके कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी है. इस मसले पर इसी महीने की शुरुआत में यूके की टीम भारत आई और उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू से मुलाकात की.

ऐसे मामलों में अगर किसी व्यक्ति के डॉक्यूमेंट पूरे नहीं हैं तो भारतीय एजेंसियों को 72 दिनों में जांच करनी होगी और कागज पूरे हैं तो सिर्फ 15 दिन में जांच को पूरा करना होगा.

ब्रिटिश अखबार ने किया था खुलासा

पिछले दिनों ब्र‍िटिश अखबार संडे टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए जानकारी दी कि जब नीरव मोदी को भारत में खोजा जा रहा था, तब वह लंदन के मेफेयर एरिया में ऑल्ड बॉन्ड स्ट्रीट में रह रहा था. यहां वह अपने ज्वैलरी स्टोर के ऊपर बने फ्लैट में छुपा हुआ था.

अखबार ने एक भारतीय अध‍िकारी के हवाले से यह भी लिखा, ‘ये लोग हमेशा लंदन में ही क्यों छुपते हैं? इसलिए क्योंकि यह उनके लिए सुरक्ष‍ित पनाहगाह साबित होता है.’ अखबार ने नीरव के लंदन में छुपने को लेकर चिंता जताई थी. अखबार का मानना था कि नीरव मोदी के ब्रिटेन को सेफ हेवन बनाने की वजह से दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर असर पड़ सकता है.

यूं तो कहने के लिए दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि लागू है, लेकिन अब तक के रिकॉर्ड को देखा जाए तो ब्रिटेन ने इस संबंध में कभी भी भारत की मदद नहीं की है. अब देखना होगा कि ब्रिटेन नीरव मोदी के साथ किस तरह का व्यवहार करता है.

 

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