ITR में आमदनी कम दिखाना पहुंचा सकता है सलाखों के पीछे, आयकर विभाग ने चेताया

नई दिल्ली। आईटीआर में गलत जानकारी देना दंडनीय अपराध हैै. गलत जानकारी पकड़े जाने पर न सिर्फ जुर्माना लगेगा बल्कि जेल भी हो सकती है. आयकर विभाग केे मुताबिक अक्सर लोग आयकर रिटर्न में आय कम बताने या कटौती को बढा-चढ़ाकर दिखाने जैसे हथकंडे अपनाते हैं. इसी के मद्देनजर आयकर विभाग ने बुधवार को फिर कहा कि गलत जानकारी देने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा. ऐसे लोगों पर विभाग की नजर है. विभाग ने कहा कि ऐसे करदाताओं के खिलाफ न सिर्फ कार्रवाई होगी बल्कि उनके नियोक्ता को भी इस संबंध में सूचित किया जाएगा. यह चेतावनी विशेष तौर पर वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए जारी की गई है.

गलत सूचना देने पर चल सकता है मुकदमा
आयकर विभाग के बंगलुरु स्थित केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) के मुताबिक वेतनभोगी करदाताओं से कहा गया है कि गलत लाभ के लिए गलत कर सलाहकारों के चक्कर में न पड़ें. विभाग के अनुसार रिटर्न में आय कम दिखाना या कटौती बढ़ाचढ़ाकर दिखाना विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय है और आयकर कानून की धाराओं के तहत मुकदमा किया जा सकता है. आयकर विभाग की जांच शाखा ने जनवरी में एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया था जो कर्मचारियों को फर्जी तरीके से कर रिफंड हासिल करने में मदद करता है. सीबीआई ने हाल ही में इस मामले में आपराधिक मामला दर्ज किया है.

ITR ई-फाइलिंग हुई पोर्टल पर सक्रिय
वेतनभोगी करदाताओं के लिए टैक्स दाखिल करने का सत्र इसी हफ्ते शुरू हुआ है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वेतनभोगी करदाताओं के लिये नये आईटीआर फार्म को हाल ही में अधिसूचित किया जो आयकर विभाग की वेबसाइट https://www.incometaxindiaefiling.gov.in पर उपलब्ध है. वेतनभोगियों से सहज आईटीआर में जो जानकारी मांगी गई है उसमें वेतन में जिन-जिन भतों पर कर लगता है उसका ब्योरा देना है. यह जानकारी कर्मचारी के फार्म-16 में दर्ज होती है. इसलिए उन्हें इसे देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. हालांकि पहले सहज फार्म मेें यह कॉलम नहीं था.

31 जुलाई के बाद रिटर्न फाइल करने पर लगेगी फीस
आयकर विभाग ने इस बार से 31 जुलाई के बाद रिटर्न फाइल करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों पर 5000 रुपए फीस लगा दी है. ऐसा करदाताओं के रिटर्न को अनिवार्य रूप से भरने के लिए किया गया है. पहले लोग कर योग्य आय न होने की दशा में रिटर्न नहीं फाइल करते थे. इसके पीछे उनका तर्क यह रहता था कि जब आय पर कोई कर ही नहीं बनता तो रिटर्न फाइल करने की क्या जरूरत है. इसके मद्देनजर आयकर विभाग ने 31 जुलाई के बाद रिटर्न पर फीस थोप दी है. यह फीस 31 दिसंबर के बाद दोगुनी हो जाएगी. साथ ही वित्त वर्ष खत्म होने के एक साल के भीतर यानि हर साल 31 मार्च तक रिटर्न भरना भी अनिवार्य कर दिया गया है.

 

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