Lockdown से लौटकर चोटिल हो सकते हैं गेंदबाज, ICC ने दी ये अहम सलाह

दुनिया भर में चल रही कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी का असर खिलाड़ियों पर भी बहुत बुरी तरह से हुआ है. तकरीबन सभी खिलाड़ी पर्याप्त फिटनेस एक्सरसाइज की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन गेंदबाजों पर इस करीब 3 महीन लंबे बंद का असर बहुत ज्यादा हो सकता है. लॉकडाउन पीरियड खत्म होने के बाद दोबारा क्रिकेट चालू होने पर अचानक लोड बढ़ने से गेंदबाजों में कमर की चोट का खतरा बढ़ने का डर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) को भी सता रहा है. क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था ने इसके लिए सभी देशों को चेतावनी जारी करते हुए कुछ खास निर्देश जारी किए हैं.

गेंदबाजों के लिए तय किए न्यूनतम ट्रेनिंग के दिन

आईसीसी ने सभी देशों को कहा है कि वे किसी भी गेंदबाज को सीधे मैच या नेट प्रैक्टिस में ज्यादा मेहनत करने के लिए दबाव नहीं बनाए. आईसीसी ने सभी देशों को अपने गेंदबाजों का वर्गीकरण उनके खेलने वाले मैच फार्मेट के हिसाब से करने के लिए कहा है. गेंदबाजों को ‘सिर्फ टेस्ट मैच खेलने वाले”, “केवल सीमित ओवर क्रिकेट खेलने वाले”, “टेस्ट मैच और सीमित ओवर क्रिकेट, दोनों फार्मेंट में खेलने वाले” वर्ग में बांटा जाना है. इसके बाद आईसीसी ने हर फॉर्मेट के हिसाब से गेंदबाज को वर्कलोड का अभ्यस्त बनाने के लिए कम से कम 5 से 12 सप्ताह की फिटनेस ट्रेनिंग कराने का निर्देश सभी देशों को दिया है.

किस फॉर्मेट में कितनी न्यूनतम ट्रेनिंग

आईसीसी के विशेषज्ञों ने गेंदबाजों के लिए हर फॉर्मेट के हिसाब से जो न्यूनतम फिटनेस ट्रेनिंग शेड्यूल तय किया है, उसमें टेस्ट क्रिकेट को सबसे ज्यादा चोट लगने वाली श्रेणी में रखा गया है, इसी कारण टेस्ट मैचों में उतरने से पहले गेंदबाजों के लिए 8 से 12 सप्ताह का समय तय किया गया है. वनडे क्रिकेट खेलने के लिए गेंदबाजों को कम से कम 6 सप्ताह की फिटनेट ट्रेनिंग करनी होगी, जबकि टी20 फॉर्मेट के लिए भी यह समय 5 से 6 सप्ताह का माना गया है.

रीढ़ की हड्डी में आई होगी 2 फीसदी की कमी

आईसीसी की रिसर्च के हिसाब से लॉकडाउन के दौरान फिटनेस स्तर बनाए रखने के लिए पर्याप्त एक्सरसाइज की कमी के चलते सात सप्ताह में गेंदबाजों की रीढ़ की हड्डी ‘2% बोनलेस’ हो सकती है. विशेषज्ञों ने इसकी भरपाई के लिए गेंदबाजों में 24 सप्ताह तक का समय लगने की बात अपनी रिसर्च में मानी है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसके चलते बुजुर्ग गेंदबाजों में युवाओं के मुकाबले कमर के “स्ट्रेस फ्रेक्चर” की संभावना ज्यादा है.

टूर पर ज्यादा गेंदबाज लेकर चलने की सलाह

आईसीसी ने सभी देशों को यह भी सलाह दी है कि वे दूसरे देश में मैच खेलने के लिए जाते समय अब पहले ज्यादा ‘बड़े’ दल को लेकर जाएं, जिसमें गेंदबाजों की संख्या ज्यादा हो. इससे न केवल मेहमान देश की तरफ से कम गेंदबाज नेट प्रैक्टिस पर उपलब्ध कराने की समस्या से छुटकारा मिलेगा बल्कि किसी गेंदबाज के चोटिल होने पर उसकी भरपाई तत्काल कर पाना भी मेहमान टीम के लिए संभव हो पाएगा. इसके अलावा ज्यादा गेंदबाज मौजूद होने की स्थिति में रोटेशन के जरिए उन्हें चोटिल होने से भी बचाया जा सकेगा.

 

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