#OperationBrainwash का असर, वोटरों का डेटा चोरी करने वालों पर EC करेगा एक्शन

नई दिल्ली। चुनाव के दौरान नागरिकों की निजी जानकारी से जुड़े डेटा का उपयोग करने वाली भारतीय कंपनियों को लेकर इंडिया टुडे के खुलासे का बड़ा असर हुआ है. इंडिया टुडे के ‘ऑपरेशन ब्रेनवॉश’ पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया है.

मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि वह इस खुलासे के बाद कड़ा कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा है कि पहले हम इस स्टिंग की जांच करेंगे और उसके बाद आगे की कार्रवाई करेंगे. ओपी रावत का कहना है कि इस प्रकार की कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी. आपको बता दें कि इंडिया टुडे के खुलासे के बाद बीजेपी और कांग्रेस ने चुनाव आयोग से ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था.

क्या है ऑपरेशन ब्रेनवॉश?

इंडिया टुडे की अंडर कवर जांच में ऐसे कई राजनीतिक सलाह देने वाले देसी ठिकाने बेनकाब हुए जिन्होंने तमाम तरह के स्रोतों से नागरिकों के डेटा जुटा रखे हैं. फेसबुक और ट्विटर को एक तरफ रखें तो भी इनके पास नागरिकों से जुटी जानकारी हासिल करने के अनेक रास्ते हैं. जांच में सामने आया कि ये देसी ठिकाने राजनीतिक पार्टियों के लिए वोटरों के प्रोफाइल छान रहे हैं जिससे कि चुनाव कैम्पेन के वक्त लक्षित संदेशों को उन तक पहुंचाया जा सके.

नई दिल्ली स्थित चुनाव प्रबंधन कंपनी ‘जनाधार’ के संस्थापक मनीष ने अंडर कवर रिपोर्टर को नागरिकों से जुड़े तमाम तरह के डेटा उपलब्ध कराने की पेशकश की. ये डेटा रिटेल चेन्स, जॉब पोर्टल्स, शॉपिंग ऐप्स, बैंक, टेलीकॉम, डीटीएच कंपनियों जैसे तमाम स्रोतों से इकट्ठा किया गया जिससे कि उसका वोटरों पर ‘मनोवैज्ञानिक युद्ध’ छेड़ने के लिए इस्तेमाल किया जा सके.

भारत की देसी कैम्ब्रिज एनालिटिका!

अमेरिका में 2016 में ट्रम्प कैम्पेन के लिए वोटरों को लुभाने के वास्ते इंग्लैंड स्थित कंपनी ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ ने फेसबुक से अमेरिकी नागरिकों की निजी जानकारी से जुड़ा डेटा उड़ाकर जैसे इस्तेमाल किया, उससे कहीं खुल्लमखुल्ला और बेखौफ ढंग से भारत में इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा है. ये खुलासा इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम की जांच में हुआ है.

भारत सरकार ने कैम्ब्रिज एनालिटिका और फेसबुक दोनों को ही 10 मई की डेडलाइन देते हुए विस्तृत जवाब देने के लिए कहा है. उनसे पूछा गया है कि भारतीयों से जुड़े डेटा को लेकर कहीं उल्लंघन हुआ है तो उसका पूरा ब्यौरा दिया जाए. फेसबुक को तभी से बुरे संकट का सामना करना पड़ रहा है जब से ये आरोप दुनिया के सामने जाहिर हुए कि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद 8 करोड़ 70 लाख लोगों की जानकारी से जुड़े डेटा को बटोरा.

साभार: इंडिया टुडे

 

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