RBI ने बैंकों से कहा, बड़े कर्जदार का एक दिन का भी डिफॉल्ट हो तो चूक का खुलासा करना होगा

पुणे। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने आज बड़ी संख्या में कर्जदारों द्वारा एक दिन की कर्ज चूक के मामले बढ़ने पर चिंता जताते हुए बैंकों इसे चेतावनी का संकेत के रूप में लेने को कहा जिसपर कार्रवाई करने की जरूरत हो सकती है. बैंकिंग प्रणाली में गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 10 प्रतिशत को पार कर गई हैं. रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी को डूबे कर्ज के निपटान के लिए एक संशोधित रूपरेखा पेश की है. इसके तहत यदि ब्याज के भुगतान में एक दिन की भी देरी होती है तो बैंकों को उस चूक का खुलासा करना होगा और 180 दिन के अंदर निपटान योजना पेश करनी होगी.

निर्धारित समयसीमा में यदि बैंक कोई समाधान नहीं ढूंढ पाता है, तो चूक करने वाले कंपनी का मामला दिवाला अदालत को भेज दिया जाएगा क्योंकि केंद्रीय बैंक ने ऋण निपटान की अन्य सभी व्यवस्थाएं समाप्त कर दी हैं.

विश्वनाथन ने रिजर्व बैंक संचालित राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान के 14 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ बड़ी साख वाले कर्जदार एक दिन की देरी वाली कसौटी पर विफल हो रहे हैं. इसे बदला जाना चाहिए. यदि कर्जदार नकदी प्रवाह की समस्या की वजह से तय तारीख पर भुगतान नहीं करता है तो इसे एक चेतावनी के रूप में देखते हुए आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए.

उनका यह बयान मीडिया में आई उन खबरों के बाद आया है जिनमें कहा गया है कि सरकार केंद्रीय बैंक को एक दिन की चूक का खुलासा करने के नियम को 30 दिन करने के लिए दबाव बना रही है. सरकार का मानना है कि इस नए नियम की वजह से कई और कंपनियां विशेषरूप से लघु और मझोली इकाइयों का मामला भी एनसीएलटी में जा सकता है.

विश्वनाथ बैंकिंग नियमन विभाग के इन्चार्ज हैं. उन्होंने कहा कि बैंकों को अपने ग्राहकों को यह चेतावनी देनी चाहिए कि एक दिन की चूक होने पर भी उन्होंने निपटान की निगरानी सूची में डाला जा सकता है.

 

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