UIDAI का आरोप: गूगल, फेसबुक नहीं, कुछ लोग चाहते हैं फेल हो आधार

नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ( यूआईडीएआई ) ने बुधवार को इन आशंकाओं को खारिज कर दिया कि वह भविष्य में आधार डेटा का इस्तेमाल कर सकता है. यूआईडीएआई ने कहा कि कुछ लोग डर दिखाकर इस राष्ट्रीय पहचान कार्यक्रम को नाकाम करना चाहते हैं.

Aadhaar

@UIDAI

Mr. Dwivedi further said that UIDAI does not permit any Requesting Entity (RE) to collect and analyze Aadhaar data and use the same for any commercial uses. 4/n

Aadhaar

@UIDAI

It is only a certain section of people who are trying to fail Aadhaar by creating imaginary fear that such data analytics and learning tools used in the above mentioned companies might be used by UIDAI in future, which is completely unfounded. 5/5

यूआईडीएआई ने मीडिया रपटों पर सफाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट में यूआईडीएआई के वकील राकेश द्विवेदी के बयान पर स्थिति साफ की रपटों में कहा गया है कि यूआईडीएआई के वकील राकेश द्विवेदी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि गूगल आधार को नाकाम करने की कोशिश कर रहा है, जो सही नहीं है. यूआईडीएआई ने कहा, वरिष्ठ वकील द्विवेदी ने कहा था कि जहां तक गूगल, फेसबुक या ट्विटर का सवाल है, उनकी तुलना आधार से नहीं की जा सकती. दोनों की सूचनाएं अलग-अलग हैं. साथ ही दोनों में अलग-अलग एल्गोरिथम का इस्तेमाल किया जाता है.

Aadhaar

@UIDAI

It is clarified that the media reports which were published today quoting UIDAI’s Counsel Shri Rakesh Dwivedi’s argument yesterday in the Supreme Court that Google is trying to fail Aadhaar, are not correct. 1/n

Aadhaar

@UIDAI

Shri Rakesh Dwivedi, Senior Advocate had submitted that as far as Google, Facebook and Twitter are concerned, they cannot be compared with Aadhaar due to the nature of information being different and also due to difference in the nature of algorithms being used. 2/n

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बायोमेट्रिक सिस्टम को किसी व्यक्ति के हर लेन-देन से जोड़ दिया जाता है तो इससे सूचनाओं का भंडार बनेगा, जिसके चलते डेटा सुरक्षा की जरूरत पैदा होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की एक बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यूआईएडीएआई को अपनी आशंकाएं बताईं.

पीठ ने कहा कि हर लेन-देन में आधार नंबर का उपयोग करने से लोगों का ‘मेटा डेटा’ जमा होगा, जिनका मिलान किया जा सकता है और निगरानी सहित कई अन्य काम में इस्तेमाल किया जा सकता है.इन याचिकाओं के जरिए ‘आधार’ और इससे जुड़े 2016 के कानून को चुनौती दी गई है.

 

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