कर्ज चुकाने का नहीं सूझा कोई रास्ता तो, दर-दर भीख मांगकर पैसे जुटा रहा यह किसान

सांगली। महाराष्ट्र के सांगली जिले का एक किसान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, इस किसान पर 40 लाख रुपए का कर्ज है. फसल खराब होने के कारण वह बैंक का कर्ज चुकाने में असमर्थ है, इसलिए उसने घूम-घूमकर भीख मांगने का फैसला लिया. सांगली के कवले महाकाल तहसील के मोरगांव में रहने वाले नारायण पवार आज-कल लोकल और पैसेंजर ट्रेनों में भीख मांगते नजर आ रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, नारायण पवार के पास पांच एकड़ जमीन है. जिसमें वह अनार की खेती करते हैं. उन्होंने खेती के लिए बैंक से 40 लाख रुपए का कर्ज लिया था. लेकिन पानी की कमी के चलते अनार की फसल बरबाद हो गई. बैंक को पैसा लौटा पाना तो दूर उनके पास परिवार का पेट पालने के लिए भी पैसे नहीं हैं. सरकार की तरफ से कर्जमाफी योजना का पैसा भी अभी तक नहीं मिला है. वसूली करने आए बैंक कर्मचारी डराते-धमकाते हैं. ऐसे में नारायण पवार ने भीख मांग कर पैसा इकट्ठा करने का फैसला किया. आजकल वह ट्रेनों में एक टिन का डिब्बा लिए लोगों से मदद की अपील कर रहे हैं. डिब्बे पर लिखा है- ‘मैं कर्जदार किसान हूं, मदद करिए.’ डिब्बे के दूसरी तरफ लिखा है, ‘अब मुझे लोकल ही बचाएगी’. उन्होंने डिब्बे पर अपना नंबर भी लिख रखा है.

सूखे ने बरबाद की फसल 
नारायण पवार ने बताया कि उन्हें इस साल खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ा है. पानी की कमी के चलते अनार का पूरा का पूरा खेत जलकर नष्ट हो गया. पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने खेती से जुड़े अलग-अलग उद्योगों में भी हाथ आजमा. उन्होनें बकरी पालने का काम भी किया. लेकिन उसमें भी नुकसान झेलना पड़ा. अब कर्ज की रकम बढ़कर 40 लाख रुपए हो गई है. राज्य सरकार से भी कोई मदद न मिलते देखकर उन्होंने लोगों से मदद की गुहार लगाई और निकल पड़े भीख मांगने.

परिवार का पेट पालने के लिए मांग रहा भीख
नारायण की मां कमल पवार ने कहा कि अपने बेटे को भीख मांगता देख अच्छा नहीं लगता. लेकीन पांच लोगों का परीवार पालने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा. नारायण के परिवार में मां पत्नी और दो बच्चे हैं. वह घर में कमानेवाले अकेले हैं. कमल कहती हैं कि सांगली में कोई नौकरी भी नहीं मिलती इसलिए मजबूरन उसे भीख मांगना पड़ रहा है.

लोकल, पैसेंजर ट्रेनों में लोगों से मांग रहे मदद
नारायण हफ्ते में पांच दिन सांगली से बाहर रहते हैं. कभी मुंबई लोकल तो कभी पैसेंजर ट्रेनों में धूमकर पैसे इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं. इस तरह से उन्होंने अब तक 60 से 70 हजार रुपए इकट्ठा किए हैं. वो कहते हैं लोकल ही अब मेरी मदद कर सकती है. नारायण कहते हैं कि सरकार किसानों की मदद के लिए कई योजनाएं लाई. लेकिन वह योजनाएं किसानों तक पहुंच ही नहीं पातीं. मजबूरी में देश के अन्नदाता को आत्महत्या जैसा कदम उठाता है. लेकिन वह हार नहीं मानेंगे और परेशानियों से लड़कर जीतने का प्रयास करेंगे.

 

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