टीएमसी के आरोपों पर सेना का पलटवार, सामने रखे कई सबूत
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टोल प्लाजा पर सेना की मौजूदगी को लेकर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने आज लोकसभा में इसे एक साजिश करार देने के साथ राज्य प्रशासन को विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाया था। इस पर बंगाल एरिया के जीओसी मेजर जनरल सुनील यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर टीएमसी के सभी आरोपों का खंडन किया। सेना ने कई दस्तावेज भी सामने रखे हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि सेना ने इस रूटीन एक्सर्साइज को करने से पहले स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सूचित किया था।
सेना का रूटीन एक्सर्साइज
मेजर जनरल सुनील यादव ने कहा, ‘यह एक रूटीन एक्सर्साइज है जो सेना के परिचालन संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जाता है। सेना की ईस्टर्न कमांड स्थानीय स्तर पर वार्षिक डेटा इक्ट्ठा करने का रूटीन काम कर रही है।’ टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती के जवाब में उन्होंने कहा, ‘विभिन्न राज्यों के सभी एंट्री पॉइंट्स पर सेना सिर्फ भारी वाहनों के डेटा इक्ट्ठा कर रही है। यह एक वार्षिक एक्सर्साइज है जो हर साल किया जाता है। और यह एक्सर्साइज सेना अकेले नहीं बल्कि स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कर रही है।’
(cont)on availability of load carriers at all major entry points in various states,in coordination with local police authorities:Sunil Yadav pic.twitter.com/MwLLEvTtAV
— ANI (@ANI_news) December 2, 2016
तारीखों में हुआ बदलाव
मेजर जनरल ने कहा, ‘पूरे क्षेत्र में इस तरह के 80 डेटा कलेक्शन पॉइंट हैं और हर पॉइंट पर सेना के 5 से 6 जवान तैनात हैं जिनके पास किसी तरह का कोई हथियार नहीं है। इसी तरह का एक्सर्साइज इससे पहले यूपी, बिहार और झारखंड में भी इसी साल 26 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच हो चुका है।’ उन्होंने कहा कि पहले यह एक्सर्साइज 28, 29, 30 नवंबर को होने वाली थी लेकिन भारत बंद की वजह से कोलकाता पुलिस ने इन तारीखों पर आपत्ति दर्ज करवायी थी जिसके बाद तारीख को बदलकर 1 और 2 दिसंबर कर दिया गया था और इस बारे में पुलिस को सूचना भी दी गई थी।
Over 80 such collection data points established in entire region, personnel of army consisting of 5-6 at each point are unarmed: Major Gen pic.twitter.com/cZ7esodcP6
— ANI (@ANI_news) December 2, 2016
सेना ने दिखायी चिट्ठी
टीएमसी ने आरोप लगाया कि अपनी इस रूटीन एक्सर्साइज के बारे में सेना ने पश्चिम बंगाल सरकार और स्थानीय पुलिस को कोई सूचना नहीं दी थी। इस पर सेना ने एक दो नहीं बल्कि 9 नोटिफिकेशन दिखाए। इसमें ऑफिस ऑफ कमिश्नर ऑफ पुलिस, एचआरबीसी जिसके अंडर में विद्या सागर सेतु टोल प्लाजा आता है, हावड़ा के पुलिस कमिश्नर और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भेजा गया नोटिफिकेशन शामिल है। ये सारे सबूत बताते हैं कि सेना ने अचानक कोई कदम नहीं उठाया बल्कि राज्य प्रशासन और स्थानीय पुलिस को इस बारे में पहले ही सूचित किया गया था।
Army’s letters (written earlier) in connection with the force deployment in West Bengal. pic.twitter.com/YUm4BiOI5k
— ANI (@ANI_news) December 2, 2016
#BREAKING VIDEO: Indian Army releases proof of permissions sought from Police and district administration for the survey #MamataCoupCharge pic.twitter.com/8HFiRICgph
— TIMES NOW (@TimesNow) December 2, 2016
वसूली का आरोप बेबुनियाद
टोल प्लाजा पर वाहनों से पैसे वसूलने के आरोप को भी मेजर जनरल सुनील यादव ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप पूरी तरह से आधारहीन हैं और सेना सिर्फ भारी वाहनों की जानकारी इक्ट्ठा कर रही है।
This is baseless, we deny this charge: Major General Sunil Yadav on army collecting money from people at the toll counters in WB pic.twitter.com/ZUDI21weRH
— ANI (@ANI_news) December 2, 2016
संसद में भी हंगामा
इस पूरे मामले पर जब सदन में हंगामा हुआ तो रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में सेना की मौजूदगी नियमित अभ्यास का हिस्सा है और सेना के नियमित अभ्यास को लेकर इस तरह का विवाद खड़ा करना दुखद और गलत है। उन्होंने कहा, ‘सेना के नियमित अभ्यास पर विवाद पैदा करना वास्तविक स्थिति पेश करने की बजाए राजनीतिक हताशा का परिचायक है।’
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह अभ्यास पश्चिम बंगाल के लिए अलग नहीं है क्योंकि भारी वाहनों की गतिविधि के बारे में सूचना एकत्र करने के मकसद से पिछले महीने भी उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड में ऐसे अभ्यास हुए थे। उन्होंने कहा कि इस बार भी पश्चिम बंगाल के अलावा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में ये अभ्यास किये गए।
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