डर्टी पॉलिटिक्स ! कांग्रेस ने शुरु की ‘मौत’ की राजनीति, बीजेपी ने कहा-कुछ तो शर्म करो
नई दिल्ली। देश की जनता एक बार फिर डर्टी पॉलिटिक्स की गवाह बन रही है। केरल से मुस्लिम लीग के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ई अहमद की मौत पर अब सियासत शुरु हो गई है। शुक्रवार को जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरु हुई विपक्ष ने ई अहमद की मौत को लेकर सदन के भीतर हंगामा शुरु कर दिया। कांग्रेस ने इस मामले में केंद्र सरकार पर वरिष्ठ नेता के अपमान का आरोप लगाया। विपक्ष ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। वहीं कांग्रेस ने ई अहमद की मौत के मामले में संसद में स्थगन प्रस्ताव पेश किया। उधर, कांग्रेस के इस तरह के रवैए से भारतीय जनता पार्टी के नेता भी खासे नाराज हैं। बीजेपी ने विपक्ष को नसीहत दी है कि कम से इस तरह के मामले पर वो राजनीति ना करें।
ई अहमद की मौत पर संसद के भीतर कांग्रेस और विपक्ष ने ऐसा हंगामा किया कि सदन की कार्यवाही को ही स्थगित करना पड़ा। लोकसभा की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित किया गया है। जहां एक ओर कांग्रेस नेता ई अहमद की मौत को लेकर हंगामा कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर सदन के भीतर तृणमूल कांग्रेस के नेता अपने सांसदों की गिरफ्तारी का विरोध कर हंगामा कर रहे थे। कुल मिलाकर ऐसा लग रहा था कि विपक्ष की मंशा सिर्फ यही थी कि सदन की कार्यवाही को बाधित रखा जाए। इससे पहले पूरा का पूरा शीतकालीन सत्र नोटबंदी को लेकर हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। इस बार नोटबंदी नहीं है तो विपक्ष ने हंगामे के लिए दूसरे मुद्दों की तलाश कर ली है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासी तनातनी साफ दिख रही है।
दरअसल, अभी मंगलवार को ही संसद का बजट सत्र शुरु हुआ था। मंगलवार को जिस वक्त राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संसद के दोनों सदनों को संबोधित कर रहे थे उसी दौरान केरल से मुस्लिम लीग के सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री ई अहमद को दिल का दौरा पड़ गया था। इसके बाद उन्हें फौरन ही राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां मंगलवार की रात ही उनका निधन हो गया था। बुधवार को केंद्रीय बजट पेश होना था। उनकी मौत के बाद ये सस्पेंस पैदा हो गया था कि बजट बुधवार को पेश होगा या फिर उसे टाला जाएगा। उस वक्त भी कांग्रेस ने बजट को टालने की मांग की थी। लेकिन, संविधान विशेषज्ञों का कहना था कि इस तरह का वाकया संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ है।
इससे पहले इस तरह की कोई घटना नहीं हुई और ना ही ऐसा कोई नियम है कि अगर किसी सदस्य की मौत होती है तो सदन की कार्यवाही को स्थगित किया ही जाए। लेकिन, परंपरा के मुताबिक किसी भी सत्र के पहले दिन मृतक सांसदों को श्रद्धांजलि देने के साथ संसद की कार्यवाही को स्थगित किया जाता रहा है। लेकिन, बजट के चक्कर और पांच राज्यों में चुनावों को देखते हुए सरकार के भी हाथ बंधे हुए थे। बजट प्रिंट होने के बाद अगर इसे टाला जाता तो इसकी गोपनीयता प्रभावित हो सकती थी। दूसरी ओर सिक्योरिटी रीजन थे। इन तमाम पहलुओं को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बजट को नहीं टाला था। उनका कहना था कि बजट एक संवैधानिक दायित्व है जिसे पेश करना ही होगा। बीजेपी का कहना है कि अब कांग्रेस ने इस पर सियासत शुरु कर दी है।
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