‘लोढ़ा कमिटी पर अनुराग ठाकुर ने बोला झूठ, की अवमानना’
चेन्नै। लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने में असमर्थता जता रही बीसीसीआई को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहली नजर में अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में झूठे तथ्य रखे और कोर्ट के आदेश की अवमानना की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी से पूछा है कि क्या बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य रखे? एमिक्स क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दिए शपथपत्र में झूठ कहा था कि उन्होंने बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में शशांक मनोहर से विचार लिया था। अनुराग ठाकुर ने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई। एमिक्स क्यूरी ने वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाए जाने की वकालत की।
Amicus Curiae to SC: Anurag Thakur lied on oath to SC,in his affidavit he said that he sought Shashank Manohar’s opinion as BCCI chairman
— ANI (@ANI_news) December 15, 2016
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को बीसीसीआई को जस्टिस लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें लागू करने का आदेश दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई ने 16 अगस्त को पुनर्विचार याचिका दायर की थी। बीसीसीआई की ओर से दाखिल याचिका में गुहार लगाई गई थी कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर फिर से विचार करे और मामले में सुनवाई के लिए 5 जजों की बेंच का गठन किया जाए।
बीसीसीआई और उसकी स्टेट असोसिएशंस ने जस्टिस लोढ़ा कमिटी की सभी सिफारिशें मानने में अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। इसी को लेकर कोर्ट यह सुनवाई कर रहा है। इस मामले पर कोर्ट को अब यह तय करना है कि क्या क्रिकेट के लिए बीसीसीआई प्रशासक नियुक्त किया जाए या फिर बीसीसीआई को और वक्त दिया जाए। इससे पहले लोढ़ा पैनल की सिफारिशें न मानने तक बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट संघों को किसी भी तरह का फंड जारी करने पर रोक है।
उल्लेखनीय है कि लोढ़ा कमिटी बीसीसीआई की रूप-रेखा पूरी तरह से बदलना चाहती है। बीते साल जुलाई में जस्टिस लोढ़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा जारी किया था, जिसके बाद से बीसीसीआई में हलचल मची है। लोढ़ा कमिटी बोर्ड में अधिक उम्र के अधिकारियों को नहीं चाहती और वह राज्य संघों में भी एक ही क्रिकेट संघ को चाहती है, जो पूर्ण सदस्य हो और उसे वोट देने का अधिकार हो। इसके अलावा पैनल की ऐसी और भी कई शर्ते हैं, जिन्हें बीसीसीआई मानने पर राजी नहीं हो पा रही है।
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