अगवा 4 पुलिसवालों को मार कर नक्सलियों ने सड़क पर फेंके शव
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नक्सलियों ने चारों जवानों की गला काट कर हत्या की है। इसके बाद इन जवानों के शव सड़क पर फेंक दिए और पर्चे भी फेंके। पर्चे में लिखा गया है कि कॉन्स्टेबल बनने के बाद चारों जवान स्थानीय गांववालों पर अत्याचार करते थे, बच्चियों से छेड़छाड़ करते थे और नक्सली विरोधी अभियानों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे। पर्चे में नक्सलियों ने चेतावनी दी है कि सैनिक बनकर ग्रामीणों पर अत्याचार करने वालों को माफ नहीं किया जाएगा। नक्सलियों ने गांववालों से सलवा जुडूम, ऑपरेशन ग्रीन हंट का विरोध करने की अपील की है। नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सतनापल्ली इलाके से बीते सोमवार चार पुलिसवालों को अगवा कर लिया था। ये जवान बीजापुर से कुटरू कस्बे तक जा रहे थे। दो जवान बस में सवार थे, जबकि दो मोटरसाइकिल पर थे। नक्सलियों ने उन्हें सकनापल्ली गांव के नजदीक घने जंगल वाले इलाके में रोक लिया। स्थानीय लोगों ने पुलिसवालों को बचाने की कोशिश भी की थी। लेकिन नक्सलियों ने उन्हें डरा-धमका कर भगा दिया। मारे गए पुलिसवाले एसपीओ से ऑक्सिलरी कांस्टेबल बने थे। एसपीओ के मायने स्पेशल पुलिस ऑफिसर से हैं। इन्हें कोया कमांडो भी कहा जाता है। नक्सलियों से निपटने के लिए सरकार आम नागरिकों में से लोगों को चुनकर एसपीओ बनाती है। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2011 के अपने एक आदेश में छत्तीसगढ़ सरकार से एसपीओ की व्यवस्था खत्म करने को कहा था। बहरहाल, सरकार नया कानून ले आई और सारे एसपीओ को ऑक्सिलरी कांस्टेबल बना दिया गया। एसपीओ से कांस्टेबल बनाए गए ये एसपीओ हमेशा नक्सियों के टारगेट पर रहते हैं। समय-समय पर यह मुद्दा उठता रहा है कि एसपीओ को पुलिस डिपार्टमेंट काफी कम सुरक्षा मुहैया कराता है।
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