अफगानिस्तान में भूकंप से हिले हिंदुस्तान-पाकिस्तान, उ. भारत में 5 मिनट में 3 झटके

pakistan_14तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, नई दिल्ली। सोमवार को दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में 5 मिनट के अंदर भूकंप के तीन झटके महसूस किए गए। तीनों झटके दोपहर 3:33 से 3.38 बजे के बीच आए। एशिया में 12 घंटे के अंदर यह दूसरा भूकंप था। नेपाल के गोरखा जिले में भी तड़के 4 बजे भूकंप आया था। अप्रैल में नेपाल में जर्बदस्त भूकंप के बाद पिछले सौ दिन के अंदर हिमालयन रेंज में 375 झटके आ चुके हैं। सोमवार को नेपाल, उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भूकंप भी हिमालयन रेंज की फॉल्ट लाइन की ही वजह से आया।
भूकंप का सेंटर अफगानिस्तान के अश्कशाम में 223 किमी नीचे था। तीव्रता 6.2 थी। यह इलाका अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर से नजदीक है और हिंदुकुश रेंज में आता है। इससे पहले हिंदुकुश रेंज में 2005 में आया था भूकंप। दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश। भारत में इसकी तीव्रता 3.3 बताई जा रही है।
कश्मीर और पंजाब में पाकिस्तान बॉर्डर से सटे इलाकों में भूकंप के तेज झटके आए। कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। पूरे पाकिस्तान में भी जबर्दस्त झटके महसूस किए गए। इससे पहले 25 जुलाई को भी पाकिस्तान में 5.1 तीव्रता वाला भूकंप आया था। इसका सेंटर इस्लामाबाद से 16 किमी दूर था। इसमें तीन लोगों की मौत हुई थी।
सोमवार तड़के चार बजे नेपाल में भी 4.4 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का सेंटर गोरखा जिले के लांगझुंग में जमीन से दस किलोमीटर अंदर था।
 क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आ रहे हैं। हिंदुकुश रीजन भी इसी बेल्ट में है जहां सोमवार दोपहर भूकंप आया। इस साल अप्रैल-मई में नेपाल में आए भूकंप के कारण करीब 8 हजार लोगों की मौत हुई थी। हिमालय कुछ सेंटीमीटर की दर से उत्तर में खिसक रहा है। हिमालयन फॉल्ट लाइन पर भारत सरकार की मदद से अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की थी। यह स्टडी यूएस जर्नल लिथोस्फीयर और जेजीआर में छपी थी। इस स्टडी को लीड कर चुके जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के सी.पी. राजेंद्रन के मुताबिक हिमालय 700 साल पुरानी फॉल्ट लाइन पर मौजूद है। यह फॉल्ट लाइन ऐसे मुहाने पर पहुंच चुकी है जिसकी वजह से कभी भी यहां ऐसा ताकतवर भूकंप आ सकता है जो पिछले 500 साल में नहीं देखा गया हो।
 कितनी तबाही लाता है भूकंप?
रिक्टर स्केल
असर
0 से 1.9
सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
2 से 2.9
हल्के झटके।
3 से 3.9
कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर।
4 से 4.9
खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।
5 से 5.9
फर्नीचर हिल सकता है।
6 से 6.9
इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
7 से 7.9
इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
8 से 8.9
इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
9 और उससे ज्यादा
पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी।
भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
 

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