अफसरों और इंजीनियरों पर खूब बरसे शिवपाल और अखिलेश
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर मंगलवार को सिंचाई विभाग का कार्यक्रम हुआ, जिसमें कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और स्वयं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अफसर और इंजीनियरों पर खूब बरसे। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में शिवपाल ने इंजीनियरों को कमीशनखोर तक कह डाला। शिवपाल ने प्रदेश में तैनात आईएएस अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत आईएएस अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। उन्होंने कहा कि अफसर राज्य के विकास कार्य में बाधा डालते हैं और इनका बस चले तो मंत्रियों को कोई फैसला ही ना लेने दें। वे इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभियंता बहुत बड़े कमीशनखोर हैं। जो इनके मन का होता है वो अच्छा है नहीं तो सब बेकार है। शिवपाल ने कहा कि यहां के अफसरों को अगर मोटा कमीशन मिल जाए तो इन्हें खराब सामान भी अच्छा लगता है और न मिले तो अच्छे सामान को भी घटिया बता देते हैं।
मौका था मुख्यमंत्री के सरकारी घर पर विभिन्न जिलों में 1020 नलकूपों को बटन दबाकर चालू करने का। चूंकि विभागीय मंत्री शिवपाल सिंह यादव हैं तो मुख्यमंत्री से पहले जब वह बोलने के लिए खड़े हुए तो पूरे मूड में दिखे। उन्होंने शुरुआत इंजीनियरों की होशियारी से की। कहा, ये बड़े कामों में कमजोरी जाहिर करते हैं। 100-200 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट नहीं करना चाहते। अरे बड़े कामों में कम कमीशन लो। इसके बाद शिवपाल ने नहरों, ट्यूबेलों और अन्य प्रोजेक्ट में वित्त तथा वन विभाग की अड़चन डालने का पक्ष जोड़ा, ये ब्यूरोके्रट्स जो हैं यही अड़चन डालते हैं। मंत्री ने (आलोक रंजन और दीपक सिंघल) की ओर इशारा करते हुए कहा, लेकिन ये लोग यह काम नहीं करते हैं। शिवपाल ने अपने ही विभाग के प्रमुख सचिव दीपक सिंघल की कमजोरियों को नहीं बख्शा। बोले, बात-बात में दिल्ली भाग खड़े होते हैं। वहां इनका ज्यादा मन लगता है। सिंघल साहब विदेश भी खूब जाते हैं। वहां जाते हैं तो कुछ यूपी के लिए भी लाइए। नई तकनीक और प्रोजेक्ट में निवेश का रास्ता खोलिए।
बाण सागर परियोजना में यूपी को पानी छोड़ने के मामले में उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश का एक आईएएस इतना चोर है कि पानी छोड़ने के बहाने पैसे चोरी से ले गया। और पानी देने में आनाकानी करने लगा। मैं भी अड़ गया कि यूपी के हिस्से का पानी तो लेकर रहेंगे। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने थोड़ा सहयोग कर दिया और उसको पानी छोड़ना पड़ा। शिवपाल ने सिंचाई विभाग के बिगड़ैल इंजीनियरों का जिक्र करते हुए कहा कि मंत्री बनते ही मैंने इन्हें सुधारने का बीड़ा उठाया। बोले, अभी 5 से 10 परसेंट नहीं सुधर पाए हैं। बाकी तो सुधर गए हैं। एक घटना का उदाहरण देते हुए बोले, एक इंजीनियर तो सुधरने के बाद भी बदमाशी कर गया, सब काम अच्छा करने के बाद घटिया पाइप डलवा दिया। अब जो पाइप 50 साल चलती वह 5 साल ही चलेगी। ये तो हालत है।
उधर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को अपने सरकारी घर पर आयोजित 1020 नलकूपों के शुरुआत के मौके पर कहा कि चाचा जी आज मूड में हैं। उन्होंने लोकनिर्माण मंत्री के ब्यूरोक्रेटस के बारे में व्यक्त की गई टिप्पणी पर खासतौर पर आईएएस अफसरों के बारे में अपनी राय रखी। कहा, आईएएस का मतलब है इंडीविजुअल ऑफ्टर सरकार। बेलगाम इंजीनियरों के बाबत कहा कि इन पर कितनी भी पाबंदी लगा लें, इतनी जल्दी यह सुधरने वाले नहीं हैं। कहा, नदियों के किनारे बने गेस्ट हाउस खंडहर हो गए। इसका मतलब साफ है कि ये वहां जाते नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार चलाने में तो रुकावटें आती ही है। लेकिन पानी अपना रास्ता खुद बना लेता है।
मुख्यमंत्री ने आधुनिक युग में नई तकनीक का जिक्र करते हुए कहा कि टू जी, थ्री जी और फोर जी आ गया है। नेट की यह सुविधा इतनी तेज है कि सेकेंड में चीजें पकड़ती हैं। मगर असामाजिक तत्व और सांप्रदायिक ताकतें इसका दुरुपयोग भी करने लगी हैं। कम उम्र के बच्चे वॉट्सएप के जरिए फसाद पैदा कर रहे हैं। इसका फायदा सांप्रदायिक शक्तियां उठा रही हैं।नदियां ऐसी नहीं रही होंगी : अखिलेश ने बुंदेलखंड की चंबल नदी का उदाहरण देते हुए कहा कि आज भी वह स्वच्छ है। इससे यह पता चलता है कि जिन नदियों का पानी काला पड़ चुका है, वह पहले इतनी गंदी नहीं रही होंगी। चंबल नदी जितनी साफ है बगल की नदी यमुना उतनी ही गंदी है। उद्योगों की वजह से नदियां काली पड़ गईं। उन्होंने इस अवसर पर मौजूद जल पुरुष राजेंद्र सिंह का सम्मान किया और कहा कि वह बड़ा काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने जल पुरुष को बुंदेलखंड की पांच नदियों को जिंदा करने तथा नॉलेज सेंटर की स्थापना करने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री मंगलवार को यहां अपने सरकारी आवास पर सिंचाई विभाग की विभिन्न परियोजनाओं एवं राजकीय नलकूपों के लोकार्पण एवं शिलान्यास किया । इस मौके पर जल पुरूष राजेन्द्र सिंह को सम्मानित करते हुए उन्होंने कहा कि सिंह ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने जल संरक्षण को बढ़ावा देने तथा जन सहयोग से तालाबों के जीर्णाेद्धार एवं खुदाई के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया है। प्रदेश के जल स्रोतों को इनके प्राकृतिक स्वरूपों में वापस लाने के लिए राज्य सरकार राजेन्द्र सिंह के सुझाव पर अमल करेगी। जल व्यवस्था के विस्तृत अध्ययन के लिए प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का नाॅलेज सेण्टर स्थापित करने का आश्वासन देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विशालता को देखते हुए इस प्रकार का सेण्टर बहुत आवश्यक है। उन्होंने सिंचाई विभाग को बेहतर परिणाम पाने के लिए अपनी कार्यप्रणाली एवं परियोजनाओं में यथा आवश्यक संशोधन करने पर बल दिया।
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