अबू सलेम की जुबानी, मुंबई ब्लास्ट से लेकर दुबई भागने की कहानी

मुंबई। 1993 मुंबई बम ब्लास्ट केस में दोषी ठहराए जा चुके अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की जुर्म की दुनिया में एंट्री की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। यूपी के आजमगढ़ की गलियों में खेलने वाला सलेम ने मुंबई में पैर जमाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोली। शुरुआत में उसने स्मगलिंग और अवैध उगाही से भी परहेज नहीं किया। इसी दौरान दाऊद इब्राहिम के गुर्गों से दोस्ती हुई और वह जुर्म की दुनिया में छा गया।
लंबू कानूनी लड़ाई के बाद जब 2005 में अबू सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था, तो उससे देश की कई एजेंसियों ने अलग-अलग केसों में पूछताछ की थी। संजय दत्त केस में सलेम ने जो स्टेटमेंट दिया था।
नवीं पास अबू सलेम ने जांच अधिकारियों को बताया था कि वह मूल रूप से यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है। 1984 में काम की तलाश में वह अपने एक दोस्त शमी के साथ मुंबई आया था। उसका एक भाई, जिसका मालाड पश्चिम में होटल का बिजनस था, उसके जोगेश्वरी स्थित घर में वह करीब चार साल तक रहा था। सलेम ने 1986 में अंधेरी के एक शॉपिंग सेंटर में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोली, जहां उसने सन 1992 तक कारोबार किया। उन दिनों माहिम का कोई अजीज इंर्पोटेड सामान के बिजनस से जुड़ा हुआ था। उसके आदमी बैंकॉक, हॉन्ग कॉन्ग, दुबई जाते थे। अबू सलेम अजीज से सामान लेता था।
सलेम के एक रिश्तेदार अब्दुल वकील सऊदी अरब में काम करते थे। वह 1992 में मुंबई आए। उन्होंने अंधेरी में हंसनाबाद लेन में पासपोर्ट एजेंट और जॉब रिक्रूटमेंट एजेंसी के तौर पर अपना बिजनस शुरू किया। उसी दौरान मेंहदी हसन, जो खुद एक पासपोर्ट एजेंट था, उसने अब्दुल वकील के साथ काम करना शुरू कर दिया। मेंहदी उन दिनों सलेम के पास भी आता- जाता रहता था।
गोल्ड, सिल्वर की तस्करी
सलेम के अनुसार, सन 1992-93 में अजीज गोल्ड और सिल्वर स्मगलिंग के अवैध धंधे में शामिल हो गया। सलेम उससे गोल्ड और सिल्वर खरीदने लगा और उन्हें कांदिवली, मालाड के दो व्यापारियों और अंधेरी की दो दुकानों में बेचने लगा। दिसंबर, 1992 के आखिरी सप्ताह में अजीज ने सलेम को सिल्वर लाने का लालच देकर भरूच चलने का ऑफर दिया और मेंहदी हसन व कुछ अन्य को भी अजीज ने अपने साथ रख लिया। अजीज सभी को पहले बताई गई जगह से करीब 50 किलोमीटर दूर ले गया। वहां अजीज को एक मारुति वैन दी गई।

बंगले में खुला एके-47 का बॉक्स
हनीफ और बाबा चव्हाण ने पेचकस से मारुति वैन में रखा बॉक्स खोला। सलेम के अनुसार, उस बॉक्स में 6 से 8 एके-47 राइफल्स दिख रही थीं। इन एके-47 को देखकर, उसने बाबा चव्हाण से पूछताछ की। जवाब में चव्हाण ने कहा कि तुम चिंता न करो। इन राइफल्स में से तीन संजय दत्त ने अपने पास रख लीं, जबकि शेष हनीफ, समीर व बाबा चव्हाण ने अपने पास सुरक्षित रखीं।
उसके बाद जैसा कि जांच एजेंसियों का कहना है कि अजीज ने सलेम से मारुति वैन वापस करने को कहा, जो उसने कर दी। सलेम ने इसके बाद अजीज से उस सिल्वर (चांदी) के बारे में पूछा, जिसे दिलाने के बहाने वह उसे भरूच ले गया था, तो उसने 2-3 दिन में इसे देने का भरोसा दिया। उसी दिन, जैसा कि आरोप है, अजीज ने सलेम से कहा कि वह अगले दिन संजय दत्त के पास जाए और उससे दो एके-47 लेकर इन्हें जैबूनिशा नामक महिला को डिलिवर कर दे। उसके बाद जैसा कि अबू सलेम ने कहा कि वह अगले दिन हनीफ के पास गया और फिर उसके साथ संजय दत्त के बंगले गया। संजय दत्त ने एक बैग उन्हें (सलेम और हनीफ को) दिया, जिसमें दो एके -47 थीं। यह बैग बाद में जैबूनिशा को बांद्रा में माउंट मैरी स्थित उसके बंगले में दे दिया गया।
शिफ्ट होता रहा एके-47 का बैग
अगले दिन अबू सलेम को अजीज द्वारा आदेश दिया गया कि वह जैबूनिशा के घर फिर जाए और उससे यह बैग वापस ले ले। सलेम पर आरोप है कि उसने इस बैग को अपने दोस्त मंसूर अहमद की ब्लू मारूति-1000 गाड़ी में कुर्ला में कल्पना टॉकिज के पास तीन दिन तक रखा। सलेम ने जांच एजेंसियों को जो स्टेटमेंट दिया था, उसमें कहा गया कि चूंकि वह इन हथियारों को अपने पास ज्यादा दिन रखना नहीं चाहता था, इसलिए उसने इस बैग को जोगेश्वरी में किसी अयूब पटेल को दे दिया था। सलेम के अनुसार, उसे अच्छी तरह याद है कि इन हथियारों की डिलिवरी के तीन महीने बाद मुंबई में बम धमाके हुए थे। उसे यह भी याद था कि बम धमाकों के कुछ दिनों बाद संजय दत्त, बाबा चव्हाण, जैबूनिशा, अयूब पटेल, मंसूर अहमद, हनीफ और समीर पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए थे।
लखनऊ से दुबई भागने की कहानी
अबू सलेम ने जैसा कि जांच एजेंसियों का दावा है, उन्हें बताया कि बम ब्लास्ट के बाद अजीज ने उसे कॉल किया और कहा कि वह अपनी दुकान से फौरन भाग जाए और माहिम में उससे मिले। माहिम में मुलाकात के बाद अजीज ने उससे कहा कि यदि वह गिरफ्तार हुआ, तो उसका यानी अजीज का भी नाम आएगा, इसलिए उसने सलेम को यूपी में अपने गांव भाग जाने की सलाह दी। वह यूपी तो भागा, पर आजमगढ़ नहीं गया, बल्कि उसने लखनऊ के गोमती नगर इलाके में किराए का घर ले लिया। यहां वह अपनी पहली पत्नी समीरा के साथ करीब 6 महीने तक रहा। इस दौरान वह लगातार अजीज से संपर्क में रहा, जो उस दौरान मुंबई से दुबई शिफ्ट हो गया था।

अनीस के साले ने कराया परिचय
सन 1991 में गवली गैंग के शूटरों ने दाऊद इब्राहिम के बहनोई इब्राहिम पारकर का कत्ल कर दिया था। इब्राहिम के अंतिम संस्कार में अबू सलेम और रियाज सिद्दकी भी आए थे। वहां पर अनीस इब्राहिम के साले रहीम अंतुले ने सलेम और रियाज को एक दूसरे से मिलवाया था। उसके बाद सलेम के ऑफिस में रियाज नियमित आता जाता रहा। आरोप है कि जो हथियार व विस्फोटक अबू सलेम अजीज के साथ भरूच से लेकर आया था, उसे रियाज ने ही उपलब्ध कराया था।
2002 में हुई गिरफ्तारी
अबू सलेम को सन 2002 में पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। 11 नवंबर, 2005 को उसे अभिनेत्री मोनिका बेदी के साथ भारत प्रत्यर्पित किया गया। उसे आठ केसों में आरोपी बनाया गया। बिल्डर प्रदीप जैन मर्डर केस में उसे सन 2015 में टाडा कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा हुई।
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