अब साइट पर ही होगी मजदूरों के बच्चो के लिए सुविधा : महिला बाल विकास

pankajaतहलका एक्सप्रेस, राशिद सिद्दीकी

मुंबई। गन्ना मजदूर , इमारत निर्माण कार्य करने वाले और ईट भट्टा मजदूरों के बच्चों के लिए साइट पर अस्थाई घर की व्यवस्था राज्य का महिला व बाल कल्याण विभाग करना चाहता है। इसके लिए महिला व बाल कल्याण विभाग की ओर से सहकारिता, नगर विकास और राजस्व विभाग को पत्र लिखा जाएगा। बुधवार को राज्य की महिला व बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने पत्रकारों को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि मजदूरों के बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने और समय पर आहार की व्यवस्था कराने के लिए तीनों विभागों को पत्र लिखा जाएगा। इसके बाद संबंधित विभाग आवश्यक निर्देश जारी करेंगे। पंकजा ने कहा कि गन्ना तोड़ने, इमारतों के निर्माण कार्य और ईट भट्टों पर काम करने वाले मजदूर अकसर एक जगह से दूसरे जगहों पर जाते रहते हैं। यह मजदूर अपने बच्चों को भी साथ लिए रहते हैं। मजदूरों के लगातार काम में व्यस्त रहने के कारण कई बार बच्चों को समय पर खाना नहीं मिल पाता ।

इससे उनकी देखभाल सही ढंग से नहीं हो पाती है। इसको देखते हुए महिला व बाल विकास विभाग चाहता है कि इन बच्चों को आहार, किताब-कॉपी की व्यवस्था कराई जाए। साथ ही जहां पर मजदूर काम कर रहे हैं। वहां आसपास कोई आंगनवाड़ी केंद्र है तो वे लोग अपने बच्चों को आंगनवाड़ी में रख सकते हैं।

भेड़-बकरी पालन व्यवसाय की समस्याओं पर विचार के लिए बनेगी समिति
वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भेड़ एवं बकरी पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए सचिव स्तरीय समिति के गठन का निर्देश दिया है। यह समिति राज्य भर में भेड़ एवं बकरियों की संख्या, उनके लिए उपाय योजना बनाने और अन्य राज्यों की स्थिति पर अध्ययन करेगी। समिति को एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस समिति में सचिव के अलावा शेकाप विधायक गणपतराव देशमुख, राष्ट्रवादी के विधायक रामराव वडकुते और पूर्व विधायक प्रकाश अन्ना शेंडगे आदि को शामिल किया गया है। बुधवार को राज्य अतिथि गृह सह्याद्री में भेड़ एवं बकरी पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों का शिष्टमंडल वनमंत्री से मिला। अमरावती के विदर्भ मेंढपाल धनगर विकास मंच और धुलिया के महाराष्ट्र राज्य धनगर समाजोन्नती मंडल के सदस्यों ने वनमंत्री से वनक्षेत्र में भेड़ एवं बकरियों को चरने की अनुमति देने की मांग की। नियमों के अनुसार वनक्षेत्र में 15 मई से लेकर 15 सिंतबर तक बकरियों को चरने नहीं दिया जाता है। शिष्टमंडल ने इस पांबदी को हटाने की मांग की। उनकी शिकायत थी कि यदि भेड़ और बकरी वनक्षेत्र में चरने जाते हैं तो वन अधिकारी भेड़ और बकरियों को पकड़ लेते हैं। बाद में उसकी नीलामी कर दी जाती है। इससे व्यवसाय से जुड़े लोगों को नुकसान होता है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button