अमित शाह और आनंदीबेन पटेल की बीच कोल्ड वॉर तो नहीं है कारण उनके हटने का कारण

anandiben-patel-and-modiwww.tahalkaexpress.com अहमदाबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आंतरिक सर्वे में खुलासा हुआ था कि गुजरात में बीजेपी की पकड़ मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के नेतृत्व में ढीली पड़ रही है। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) संकट को टालने के लिए 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सक्रिय हो गई।

बीजेपी को भी इस बात में यकीन है कि आनंदीबेन के नेतृत्व में पार्टी जनसमर्थन खो रही है। कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आनंदीबेन पटेल से अपने गृहराज्य की कमान लेने का मन बना लिया है। वह किसी भी सूरत में गुजरात को बीजेपी के हाथों से जाने नहीं देना चाहते। पीएम चाहते है कि गुजरात में पार्टी की गिरती लोकप्रियता को तत्काल काबू में किया जाए।

आनंदीबेन पटेल गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। वह 22 मई को दो साल का कार्यकाल पूरा करेंगी। दिल्ली में बीजेपी के टॉप सूत्रों ने मिरर से बताया कि आनंदीबेन से सम्मानजनक तरीके से पद खाली करवाया जाएगा। पार्टी पटेल के खिलाफ कोई स्पष्ट ऐक्शन लेने से बचेगी। पार्टी उन्हें हटाने के लिए उनकी उम्र को ढाल बना सकती है। नवंबर में उनकी उम्र 75 साल हो जाएगी। इसके साथ ही उन्हें पार्टी को एकजुट रखने का हवाला दिया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि जिस गुजरात मॉडल को नरेंद्र मोदी ने ब्रैंड की तरह इस्तेमाल किया था उसकी चमक उसी राज्य में खोती जा रही है। सूत्र ने बताया, ‘गुजरात को प्रधानमंत्री एक मिसाल की तरह हर मौके पर पेश करते थे। पिछले आठ महीनों से प्रधानमंत्री मोदी गुजरात का हवाला देने से बचते दिख रहे हैं। आनंदीबेन को एक अहम राज्य सौंपा गया था लेकिन उन्होंने मौका गंवा दिया। जिस गुजरात मॉडल पर मोदी को इतना गर्व था अब वह मजाक बनकर रह गया है।’ हालांकि बीजेपी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आनंदीबेन ने अपनी ब्रैंडिंग नहीं की लेकिन उन्होंने सोशल सेक्टर में शानदार काम किया है।

कहा जा रहा है कि गुरजात की मुख्यमंत्री को प्रदर्शन के आधार पर पद से हटाया जाएगा लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और आनंदीबेन पटेल की बीच कोल्ड वॉर चरम पर है। शाह और आनंदीबेन पटेल दोनों मोदी के विश्वासपात्र हैं लेकिन दोनों के बीच पिछले एक दशक के कड़वाहट है। दोनों के बीच ताजा विवाद पटेल आरक्षण को लेकर है। गुजरात में आरक्षण को लेकर पटेलों के आंदोलन ने आनंदीबेन और बीजेपी दोनों को असहज स्थिति में खड़ा कर दिया है। माना जा रहा है कि पटेल आंदोलन से निपटने को लेकर आनंदीबेन से बीजेपी के टॉप नेता सहमत नहीं हैं। इस मामले में पर्सेप्शन मैनेजमेंट में आनंदीबेन पटेल नाकाम रही हैं। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में अमित शाह की सिफारिशों को नजअंदाज किया। खासकर पुलिस डिपार्टमेंट में पोस्टिंग को लेकर मुख्यमंत्री ने शाह की बात नहीं मानी। आंदोलन से निपटने में पुलिस डिपार्टमेंट की भी अहम भूमिका होती है लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे नजरअंदाज किया। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह कैंप ने आनंदीबेन को नॉन परफॉर्मर सीएम साबित करने में कड़ी मेहनत की।

एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘सब कुछ पार्टी की भीतर ही चल रहा है। मुख्यमंत्री और उनके परिवार के खिलाफ प्रायोजित कैंपेन चलाया गया। भ्रष्टाचार को प्रायोजित तरीके से पार्टी के भीतर के प्रतिद्वंद्वी ही उजागर कर रहे हैं। आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार के पक्ष में भूमि आंवटवन की जानकारी सामने आने से भी सीएम की इमेज को धक्का पहुंचा है। दिल्ली के सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुजरात की सीएम को पद से हटाने के लिए बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह से बात की है। पार्टी की भीतर एक सेक्शन के मानना है कि यदि बीजेपी 2017 में फिर से सत्ता में वापस आना चाहती है तो अमित शाह को सीएम बना देना चाहिए।

आएसएस के सीनियर नेता ने मिरर से कहा, ‘यदि आनंदीबेन के बदले नितिन पटेल, भिखु दलसानिया, विजय रूपानी या किसी और को कमान सौंपी जाती हो तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। गुजरात में बीजेपी को दो ही लोग बचा सकते हैं- नरेंद्र मोदी और अमित शाह। अमित शाह को गुजरात का मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। उन्होंने यह दावा किया कि आरएसएस के सर्वे में ये सारी बातें सामने आई हैं।

2014 में मोदी के पीएम बनने के बाद आनंदीबेन को गुजरात की कमान सौंपी गई थी। बेन की पहचान प्रदेश में सोशल वर्क खासकर कुपोषण, पब्लिक हेल्थ, स्वच्छता और महिला कल्याण में किए गए अहम कामों के कारण है। आनंदीबेन धर्मों के मामले में संतुलित अप्रोच के लिए भी जानी जाती हैं। जब से उनके हाथ में कमान आई है तब से उन्होंने अल्पसंख्यक विरोधी सेंटिमेंट को उकसाने का कोई काम नहीं किया है।

अपने ही समुदाय के आंदोलन को तरीके से हैंडल करने में नाकामी के कारण उन्हें अकुशल नेता का आरोप झेलना पड़ रहा है। गुजरात में पटेल अमीर और ताकतवर हैं लेकिन इनके रिजर्वेशन को लेकर बीजेपी के टॉप नेताओं में भी सहानुभूति देखने को मिली। एक साल पुराने इस आंदोलन के कारण बेन को पटेल विरोधी भी बताया जाने लगा। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह गुजरात के सीएम बनने से ज्यादा सोच रहे हैं। यदि वह सीएम की कमान नहीं संभालते हैं और नैशनल प्रेजिडेंट के पद पर ही रहना चाहेंगे तो ऐसी स्थिति में वह किसी पटेल को ही गुजरात में सीएम की कुर्सी सौंपेंगे।

हाल ही में अमित शाह ने गुजारत में अपनी लाइन साफ कर दी थी। उन्होंने अपने आदमी को गुजरात बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया था। स्टेट पार्टी प्रेजिडेंट विजय रूपानी ने हाल ही में एक घोषणा कर साफ कर दिया था कि सरकार और बीजेपी की लाइन में फर्क है। विजय रूपानी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा कर खुद ही क्रेडिट लेने की कोशिश की। उन्होंने अति पिछड़ों के लिए 10 पर्संट रिजर्वेशन देने की घोषणा की जिसमें अल्पसंख्यक का दर्जा हासिल किए जैन समुदाय के लोग भी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक ओम माथुर ने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी से गुजरात जाकर हालात संभालने का आग्रह किया था। उन्हें आरएसएस की तरफ से भी इसकी अनुगूंज सुनाई दे रही है कि बीजेपी की पकड़ गुजरात में कमजोर पड़ रही है। बीजेपी उम्मीद कर रही है कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सब कुछ दुरुस्त हो जाना चाहिए।

हालांकि बीजेपी में पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि आनंदीबेन पटेल को हटाने की बात बेबुनियाद है। बीजेपी प्रवक्ता भारत पांड्या ने गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन की बातों को खारिज कर दिया। सीएम आनंदीबेन पटेल और स्वास्थ्य मंत्री नितिल पटेल हाल ही में सूखे के हालात से निपटने के लिए नई दिल्ली आए थे। सूखे और NEET पर आयोजित मीटिंग में दोनों नेता शरीक हुए थे।

 

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