अमित शुक्ला का धर्म , धर्म नही और वाजिद का धर्म सिर माथे पर
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वाह रे जोमाटो ! बड़ा गंगा जमुनी तहजीब बांटे जा रहे हो मुफत में। इतना ही नही चुनौती भी दे रहे हो कि हिंदुओ के भरोसे उनकी दुकानदारी नही चल रही है। उधर लिब्रान्ड जमात भी उल्टी दस्त किये जा रहा है कि देश का धार्मिक समरसता खतरे में है। अमित शुक्ला का धर्म , धर्म नही और वाजिद का धर्म सिर माथे पर । जोमाटो मियां बताते हैं कि खाने का कोई धर्म नही होता है खाना खुद धर्म होता है ।
मिया जोमाटो , तो वाज़िद साहब के यहाँ काहे नाक रगड़ रहे थे जब उसने कहा कि वह बिना हलाल का मटन नही लेगा। उस समय खाने का धर्म हो गया ? शुक्ला जी को लगा कि गाय मांस खाकर कोई उसे खाना परोस रहा है इसलिए वह उसकी सेवा नही लेगा तो धर्म क्या होता है प्रवचन देने लगे । जोमाटो मिया ,तुम्हारा धर्म धंधा है धंधा करो ।अगर पाछे में दम है तो उस सपा विधायक को भी समझाते जिसने मुसलमानो को हिन्दुओ की दुकानों से सामान लेने से मना किया है।
हे लिब्रान्ड जनाब , रमजान के महीने में किसी मुसलमान को कलाकन्द खिलाकर देख लो । अगर वह मंदिर का प्रसाद हो तो और उत्तम । रोजा टूट जाएगा , प्रसाद खाने से धर्मभ्रष्ट हो जाएगा इस भय से आपकी फ़टी रहती है । फिर सावन में शुक्ला जी क्यों नही अपने हिसाब से पवित्र भोजन करें ? सावन के महीने में हिन्दू लोग मांसाहार और प्याज – लहसुन भी छोड़े रहते हैं। उनकी पवित्रता रमजान वाले पवित्रता से कम होती है क्या ? झटका और हलाल को लेकर जो लोग एकदम से सतर्क रहते हैं उनके लिये उनका भोजन ही धर्म क्यों नही होता ? सुतियो , धंधा करो धंधा । प्रवचन देने के लिए बहुत से विद्वान बैठे हैं। और हिन्दुओ को चुनौती दे रहे हो ? तुम केवल मुसलमानो के भरोसे धंधा करके देख लो । कॉफी डे वाले सिद्धार्थ की तरह सुसाइड करने की नौबत आ जायेगी।
खाने के बाद आइये टैक्सी वाले मुद्दे पर। एक व्यक्ति ने ओला की बुकिंग कैंसिल कर दी क्योंकि उसका ड्राइवर मुसलमान था । उसकी अपनी सोच है , अपना अनुभव है । इसीलिए उसने बुकिंग कैंसिल की। इसपर लिब्रान्ड जमात छाती पीटने लगी ।मैं डॉ अंसारी के यहां भोजन भी करता हूँ , शाहनवाज हसन से बहस भी करता हूँ लेकिन जब मैं रांची के मुस्लिम बहुल मुहल्लों से गुजरता हूँ तो मुझे डर भी लगता है। इसके जवाब में एक लिब्राण्डी रश्मि नायर ने उबेर की गाड़ियों में भगवान की तस्वीरों पर आपत्ति जताते हुए उसे हटाने की मांग कर डाली । उसके डिमांड पर लिब्रान्ड जमात हाउ हाऊ करते हुए जमा हो गया । बाद में पता चला कि वह लिब्राण्डी अवैध वेश्यालय चलाती है।वैसे लिब्रान्ड जमात के लिए यह सब सामान्य और जायज धंधा है।
अभी तो तीन तलाक़ को लेकर लिब्रान्ड समुदाय की पहले से सूजी हुई है , बरनोल आउट ऑफ स्टॉक हो रहा है । खाली समान नागरिक संहिता बोल दीजिये और लिब्रान्दुओ की छटपटाहट देखिये ।
और हाँ मैंने जोमाटो से तौबा कर ली है। फिलहाल स्वीगी है न । यह भी बोकरादी करेगा तो स्कूटी भी घर मे है।
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