अवॉर्ड लौटाकर सम्मान का अनादर कर रहे हैं लेखक: शशि थरूर

tharur2तहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। विभिन्न लेखकों के साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के मामले में विपरीत रुख अपनाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरुर ने गुरुवार को कहा कि हालांकि लेखकों को अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में खड़े होने का पूरा अधिकार है, लेकिन पुरस्कार को लौटाना दिए गए सम्मान का ‘अनादर’ करने जैसा है।

साहित्य अकादमी को सम्मान लौटाने वाले लेखकों पर एक कार्यक्रम में थरूर ने कहा कि उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी पर हो रहे हमलों पर आवाज उठाने का अधिकार है, पर अवॉर्ड लौटाना संस्था और उसकी गरिमा का अपमान करना है।

उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर इस कदम की निंदा करते हैं। थरूर ने कहा कि इस सम्मान की पहचान साहित्य, रचनात्मकता, बुद्धिजीविता और अकादमिक मेरिट्स से है, यह कोई सियासत नहीं है।


उन्होंने कहा कि लेखकों-साहित्यकारों को यह अंतर समझना चाहिए कि साहित्य अकादमी स्वायत्त संस्था है, राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं है। लेखकों-स्तंभकारों को समाज की ओर से जो सम्मान मिलता है, उसे लौटाकर दोबारा उसकी भरपाई नहीं की जा सकती।

हालांकि कांग्रेस नेता ने कहा कि वह इस बात से बहुत खुश हैं कि कई लेखक अपनी आवाज के लिए ऐसे वक्त में खडे हुए हैं, जब अन्य लोग चुप्पी पसंद कर रहे हैं। 59 वर्षीय सांसद ने कहा, ‘अपनी चिंताओं को लेकर लेखक बिलकुल न्याय संगत हैं क्योंकि लेखन में सृजनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए बुद्धिवादी स्वतंत्रता अनिवार्य है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ऐसी चीज है, जिसे अपनाना किसी भी लेखक के लिए नैतिक अनिवार्यता है।’

 

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