आजमगढ़ हमला समेत जानें योगी की जिंदगी की अनकही दास्तां

नई दिल्ली। हाल ही में एक रिपोर्ट आई है जिसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को आतंकी संगठन IS की हिट लिस्ट में बताया गया है। योगी वर्षों से आतंकी संगठनों के निशाने पर हैं। एक दशक पहले यूपी के सीएम पर एक घातक हमला हुआ था। हालांकि खास बात यह थी कि आजमगढ़ में हुए इस हमले में कोई आतंकी संगठन नहीं बल्कि घरेलू अराजक तत्व शामिल थे।

7 सितंबर 2008 को आजमगढ़ में योगी के काफिले पर हुए हमले में वह कैसे बचे इस घटना को एक किताब की शक्ल में सबके सामने लाया जा रहा है। ‘योगी आदित्यनाथ: द राइज ऑफ अ सैफरन सोशलिस्ट’ नामक इस किताब में योगी से जुड़ी कई चीजों के बारे में जानकारी दी गई है। किताब में योगी पर हुए इस हमले की विस्तार से जानकारी दी गई है। किताब में लिखा गया है कि योगी विपक्षियों को काउंटर करने के लिए आंतकवाद विरोधी रैली को संबोधित करने के लिए आजमगढ़ जा रहे थे।

किताब के अनुसार, ‘कई सैफरन संगठनों ने हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में घोषणा की थी कि वे आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ एक रैली का आयोजन करेंगे। 7 सितंबर 2008 को डीएवी ग्राउंड में होने वाली इस रैली के मुख्य वक्ता योगी आदित्यनाथ होंगे। रैली वाले दिन सुबह में गोरखनाथ मंदिर से 40 वाहनों का काफिला रैली स्थल के लिए रवाना हुआ। चूंकि इस बात की आशंका थी कि आजमगढ़ में कुछ अनहोनी हो सकती है, टीम योगी पूरी तरह से तैयार थी। काफिले में योगी की एसयूवी 7वें नंबर पर चल रही थी।’

हालांकि यह तय नहीं था कि आजमगढ़ के बाहरी इलाके में किस तरह की घटना हो सकती है। जब काफिला आजमगढ़ के करीब पहुंचा तो कई और चारपहिया वाहन और मोटर साइकिल उसके साथ चलने लगे थे। काफिले पर हमले की खुफिया सूचना के बाद पीएसी की एक यूनिट भी काफिले के साथ चल रही थी, लेकिन किसी को यह जानकारी नहीं थी कि क्या होने वाला है।

दिन के 1.20 बजे जैसे ही काफिला आजमगढ़ से कुछ पहले तकिया से गुजरा, काफिले के 7वें नंबर की गाड़ी पर एक पत्थर आकर गिरा। इसके तुरंत बाद चारों तरफ से पत्थर फेंके जाने लगे। इसके बाद पेट्रोल बम से हमला शुरू हो गया। इस हमले की तैयारी काफी पहले से की गई लग रही थी। इस अचानक हुए हमले से योगी समर्थक भौंचक रह गए। काफिला तीन हिस्सों में बंट गया। छह वाहन आगे निकल गए उनके पीछे चल रहे वाहन काफी पीछे छूट गए। कुछ वाहन हमले की चपेट में फंस गए। हमलावरों ने वाहनों के करीब आकर उसे घेर लिया और उसमें बैठे लोगों पर हमला शुरू कर दिया। वे अपने टारगेट को ढूंढ रहे थे। हालांकि वे अपने टारगेट ढूंढ पाने में असफल रहे।

अपने टारगेट को न पाकर हमलावर आगबबूला हो गए, लेकिन इन सबके बीच यह सवाल खड़ा हो रहा था कि योगी आदित्यनाथ कहां थे? हर कोई यही सवाल पूछ रहा था। इस बीच दूसरे पुलिस स्टेशन से पुलिसबल वहां पहुंच चुका था। सड़क किनारे सामान बेचने वाले इस बीच घटनास्थल पर पहुंचकर जिन वाहनों पर हमले हो रहे थे उनको बचाने लगे।

शहर के सीओ शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने तुरंत काउंटर हमला करने का आदेश दे दिया। इसमें एक शख्स की मौत हो गई। काफिले में शामिल घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। इन सबके बावजूद योगी कहीं नहीं दिख रहे थे। प्रशासन के लोग योगी की खोजबीन शुरू कर चुके थे। पता चला कि योगी काफिले के साथ आगे निकल गए थे और अपने बाकी वाहनों के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। असल में वह काफिले में सबसे आगे वाले एसयूवी में थे। यह बदलाव ताकिया PWD गेस्टहाउस में किया गया था। यहीं पर काफिला कुछ देर के लिए रुका था।

हमलावरों के पास ताकिया गेस्टहाउस में आखिरी मिनट में हुए बदलाव के बारे में संभवत कोई जानकारी नहीं थी। इसके अलावा भी किताब में योगी की जीवन से जुड़ीं कई अनकही बातों को सबके सामने लाने का प्रयास किया गया है। योगी के उत्तराखंड के पौड़ी से यूपी के सीएम बनने तक की कहानी इस किताब में बताई गई है। ‘योगी आदित्यनाथ: द राइज ऑफ अ सैफरन सोशलिस्ट’ नामक इस किताब को TOI के पत्रकार प्रवीण कुमार ने लिखी है और टाइम्स ग्रुप बुक्स द्वारा इसे पब्लिश किया गया है। रविवार को टाइम्स लिटफेस्ट दिल्ली 2017 में इस बुक को लॉन्च किया जाएगा।

 

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