आतंकी हमलों से निपटने के लिए साझा सेना बनाने पर विचार कर रहे यूरोपीय देश?

germanyपैरिस। यूरोप के कई देशों में हाल के दौर में हुए आतंकी हमलों के बाद यूरोपियन यूनियन की एक साझा सेना बनाने का विचार जोर पकड़ने लगा है। बाहरी खतरों का आकलन करने और आतंकी हमलों को टालने के लिए यूरोपियन यूनियन के देश एक कॉमन आर्मी बनाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि अभी यह मुद्दा विवादित बना हुआ है, लेकिन जर्मन चांसलर अंगेला मर्केल की पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और चेक रिपब्लिक के देशों के पीएम के साथ मीटिंग के बाद यह मुद्दा फिर से उठने लगा है।

ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने के बीच मर्केल ने आपस में बेहतर कॉम्युनिकेशन स्थापित करने की बात कही। इससे इस यूरोपीय देशों की साझा सेना स्थापित किए जाने के कयासों को बल मिला है। हंगरी के दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने भी इस सुझाव का समर्थन किया है। हाल ही में एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ऑर्बन ने कहा, ‘हमें सुरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता में रखना होगा और हमें कॉमन यूरोपियन आर्मी की स्थापना शुरू करनी होगी।’
इसके अलावा चेक गणराज्य के पीएम बोहुस्लाव सोबोत्का ने भी इस मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘हमें कॉमन यूरोपियन आर्मी बनाने के लिए बातचीत शुरू कर दी जानी चाहिए।’ यूरोपीय देशों की बात करें तो किसी भी देश के पास संख्या के लिहाज से बहुत बड़ी सेना नहीं है। जर्मनी के पास 1,86,450 सैनिकों की फौज है।

इसके मुकाबले फ्रांस के पास 2,22,200 की सेना है, जबकि चीन के पास 23,33,000 की विशाल सेना है। वहीं अमेरिका के पास 14,92,200 की सेना है और भारत के पास 13,25,000 की सेना है। यहां तक कि नॉर्थ कोरिया के पास भी 11,90,000 की फौज है, पाकिस्तान के पास 6,43,800 की सैनिकों की फौज है। यह संख्या भी यूरोपीय देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। यही वजह है कि यूरोपियन यूनियन के कई देश अब साझा सेना बनाने के पक्ष में हैं।

 

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