इंडिया टुडे-एक्सिस ओपिनियन पोल: गुजरात के गढ़ पर BJP का कब्जा बरकरार

नई दिल्ली। बीजेपी के हाथ में 22 साल से गुजरात की कमान होने से सत्ता विरोधी रुझान की संभावना जताए जाने के बावजूद, GST और नोटबंदी को लेकर व्यापारियों में बड़ी बेचैनी के बावजूद, पाटीदार-ओबीसी-ठाकोर-दलितों के आंदोलन के बावजूद गुजरात में फिर कमल खिलने जा रहा है. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया ओपिनियन पोल के मुताबिक बीजेपी अपने गढ़ माने जाने वाले इस राज्य को अपने पास ही बरकरार रखने जा रही है. एक्सिस माई इंडिया पोलिंग एजेंसी ने 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी का सटीक अनुमान लगाया था. इसके बाद एजेंसी के दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के अनुमान भी सही साबित हुए.

एक्सिस की ओर से 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच गुजरात की सभी 182 विधानसभा सीटों के लिए कराए गए ओपिनियन पोल के मुताबिक बीजेपी 115 से 125 सीटों पर जीत का परचम लहराने जा रही है. बीजेपी के लिए 2007 और 2012 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में कमोवेश ऐसे ही नतीजे देखने को मिले थे. ओपिनियन पोल के मुताबिक गुजरात की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के खाते में 57 से 65 सीटें आती दिख रही हैं. 2012 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 60 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

एक्सिस माई इंडिया पोल में 18243 प्रतिभागियों के सेम्पल एकत्र किए गए. 48% प्रतिभागियों ने बीजेपी को वोट देने की बात कही. वहीं 38% ने कांग्रेस के पक्ष में राय जताई. दो धुरों वाली दौड़ में वोटों में 10 फीसदी का अंतर ये जताने के लिए पर्याप्त है कि बीजेपी सत्ता विरोधी रूझान को मात देते हुए फिर गुजरात की सत्ता पर काबिज होने जा रही है. 22 साल से गुजरात की सत्ता में होने की वजह से बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान की संभावना की बात की जाती रही है.

ओपिनियन पोल दिखाता है कि कांग्रेस ने 32 फीसदी वोटरों में बढ़त बनाई हुई हैं. इनमें 10%  मुस्लिम, 6% दलित और 16% पाटीदार हैं. वहीं बीजेपी ने निर्णायक 67% वोटरों पर मजबूत पकड़ बनाई हुई है. इनमें ओबीसी 37%, एसटी 15% और सामान्य 15% हैं. इस ओपिनियन पोल ने ओबीसी युवा नेता अल्पेश ठाकोर और दलित एक्टिविस्ट जिग्नेश मेवाणी के समर्थन से कांग्रेस को मिलने वाले अतिरिक्त वोटों की संभावना का संज्ञान लिया है. लेकिन इस ओपिनियन पोल में उन अतिरिक्त वोटों का संज्ञान नहीं लिया है जो पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के कांग्रेस को समर्थन जताने की सूरत में विपक्ष के खाते में जा सकते हैं.

बीते कुछ वर्षों से हार्दिक पटेल पाटीदार समुदाय के प्रभावशाली नेता के तौर पर उभर कर सामने आए हैं. पाटीदारों को गुजरात में राजनीतिक नजरिए से मजबूत समुदाय माना जाता है. गुजरात के कुल वोटरों में पाटीदारों की हिस्सेदारी 16% है. पाटीदार गुजरात की 182 सीटों में से 21 पर निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं. हार्दिक को लेकर अभी तक ऊहापोह है कि वे कांग्रेस को सीधे समर्थन देंगे या नहीं. अपनी रैलियों में हार्दिक जोर देकर ये कहते रहे हैं कि वो चाहते हैं कि ‘पाटीदार युवकों पर हमला करने वाली अहंकारी बीजेपी को उनके समर्थक सत्ता से उखाड़ फेंके.’ हालांकि हार्दिक ने अभी तक कांग्रेस के लिए खुले समर्थन के एलान से भी परहेज किया है.

सोमवार को हार्दिक ने अहमदाबाद में कांग्रेस नेताओं के साथ अपनी मुलाकात को भी सीक्रेट रखने के लिए हर संभव कोशिश की. आधिकारिक तौर पर हार्दिक ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुलाकात होने से इनकार किया है. वहीं कांग्रेस के कुछ नेताओं का कहना है कि इस तरह की मुलाकात वाकई अहमदाबाद के एक होटल के कमरे में हुई.  एक्सिस माई इंडिया ओपिनियन पोल में प्रतिभागियों से पूछा कि क्या वे उस पार्टी के साथ जाएंगे जिसे हार्दिक समर्थन देने का ऐलान करेंगे. कुल प्रतिभागियों में 2% ने कहा कि पाटीदार युवा तुर्क (हार्दिक) जिस पार्टी को कहेंगे, उसी का समर्थन करेंगे.

एक्सिस माई इंडिया पोल ने दूसरा परिदृश्य भी प्रतिभागियों के सामने रखा. पूछा गया कि अगर हार्दिक पटेल आधिकारिक तौर पर कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान करते हैं तो क्या रुख रहेगा. एक्सिस माई इंडिया के पोलस्टर्स के मुताबिक अगर हार्दिक खुले तौर पर कांग्रेस के समर्थन का ऐलान करते हैं तो इस पार्टी का वोट शेयर 38% से बढ़कर 40% हो सकता है. ऐसी सूरत में कांग्रेस को 5 से 10 और सीटों का फायदा हो सकता है. इतना ही नुकसान बीजेपी को सीट संख्या में हो सकता है.

हार्दिक के कांग्रेस को समर्थन से बीजेपी को नुकसान होगा लेकिन ये इतना बड़ा नहीं होगा कि हाई वोल्टेज वाले इस चुनाव में उसका गढ़ ही उसके हाथ से निकल जाए. इस चुनाव को मोदी-शाह की ताकतवर जोड़ी के लिए भी साख का सवाल माना जा रहा है. हालांकि ये ध्यान में रखा जाना चाहिए कि ये ओपिनियन पोल 15 अक्टूबर से पहले हुआ था. ओपनियन पोल के लिए फील्ड से सेम्पल लिए जाने के बाद हुई घटनाओं का असर इसमें शामिल नहीं है.

जो साफ नजर आ रहा है वो ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़े आकर्षण बने हुए हैं. 66% प्रतिभागियों का मानना है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से गुजरात को फायदा हुआ. 74% जितना प्रतिभागियों का बड़ा हिस्सा मानता है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अच्छा या बहुत अच्छा काम किया है.

गुजरात में बीजेपी को अवश्य सत्ता विरोधी रुझान के दबाव का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इससे ‘धरती-पुत्र’ की साख पर कोई असर नहीं हुआ है जो देश के प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुंचा. गुजरात में पिछले कई चुनावों से मोदी मैजिक काम करता आया है और तीखे सत्ता विरोधी रुझान के बावजूद राज्य के वोटरों ने मोदी में ही विश्वास जताया. ओपिनियन पोल के अनुमान बताते हैं कि गुजरात के नागरिक अब भी मोदी के मोहपाश में हैं.

बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द गुड्स एंड सर्विस टेक्स यानी GST को लेकर व्यापारियों की बेचैनी साबित हो रहा है. गुजरात को व्यापारियों के वर्चस्व वाला राज्य माना जाता है. ओपिनियन पोल में प्रतिभागियों में आधे से अधिक ने कहा कि वे GST से असंतुष्ट हैं. सिर्फ 38% ने ही GST का अनुमोदन किया. पोल आंकड़ों से ये साफ है कि जिस तरह GST को लागू किया गया उससे लोगों में गुस्सा है. लेकिन ये साफ नहीं है कि GST को लेकर नाराजगी क्या वोटरों के रुख पर भी असर डालेगी.

लंबे समय से गुजरात का व्यापारी वर्ग बीजेपी का मजबूत समर्थक माना जाता रहा है. क्या ये व्यापारी GST को लेकर बीजेपी को खारिज करने की हद तक जाएंगे? ये गुजरात चुनाव का यक्ष प्रश्न माना जा रहा है. बीजेपी अपनी तरफ से व्यापारी समुदाय की नाराजगी को दूर करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. इसी वजह से जीएसटी की जटिलताओं को दूर करने की बात भी की जा रही है.

जहां तक गुजरात के मुख्यमंत्री को लेकर पसंद की बात है तो 34% प्रतिभागियों ने मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को अपनी पहली पसंद बताया है. 19% प्रतिभागियों ने कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल को मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया. गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी के बेटे और मौजूदा गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी को मुख्यमंत्री के तौर पर 11% प्रतिभागियों ने अपनी पसंद माना.

साभार : आजतक

 

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