इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ऐतिहासिक फैसला दिलाने वाले शिक्षक को किया गया बर्खास्त

shiv-patakतहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा की बदहाल स्थिति के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक शिक्षक को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। राज्य में शिक्षा की स्थिति में सुधार लाने के इरादे से इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले सुल्तानपुर के शिक्षक शिव कुमार पाठक को सरकार ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

सुल्तानपुर जिले के लम्भुआ में स्कूल शिक्षक शिव कुमार पाठक को सरकार ने बर्खास्त कर दिया है और कार्रवाई की वजह विद्यालय में अनुपस्थिति बताई है। इस बीच पाठक ने आरोप लगाया है कि राज्य में शिक्षा की बदहाली दूर करने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद उन्हें बर्खास्त किया गया है।

 ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में यह आदेश दिया है कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों, अधिकारियों, न्यायाधीशों और सरकार से वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों के बच्चों का परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य किया जाए। कोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली पर कड़ी टिप्पणियां की हैं। इस आदेश के परिपे्रक्ष्य में सरकार भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है।

इधर, पाठक ने कहा, ‘न्यायालय के इस आदेश के बाद मुझे बर्खास्त कर दिया गया है। मेरे खिलाफ यह कार्रवाई सरकार की ओर से की गई है। बर्खास्तगी का कारण स्कूल में अनुपस्थित होना बताया गया है।’ उन्होंने बताया कि कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए ही उन्होंने लिखित तौर पर अवकाश लिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।

पाठक ने कहा, ‘यह मामला बेसिक शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी है। यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं अदालत का दरवाजा खटखटाऊंगा।’ महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। इसके हर पहलू पर विचार करने के बाद निर्णय लिया जाएगा कि सरकार विशेष अपील करेगी या आदेश को लागू करेगी।

 

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