उत्तराखंड मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार

www.tahalkaexpress.com नई दिल्ली। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की घोषणा को निरस्त करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए केंद्र सरकार आज उच्चतम न्यायालय पहुंची। जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली 2 जजों की खंडपीठ के सामने अटॉर्नी जनरल (AG) मुकुल रोहतगी ने इस पूरे मामले को पेश किया।
केंद्र ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। जजों ने अपील को दायर कर लिया। उन्होंने AG से कहा कि वे भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से सलाह लेने के बाद ही कोई फैसला करेंगे। मालूम हो कि CJI तीन दिनों की छुट्टी पर हैं। इसके साथ ही प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल इस मामले की लिस्टिंग पर उत्तराखंड हाई कोर्ट से आदेश लेंगे।
— Amit Anand Choudhary (@amitanandTOI) April 22,
2016
इसी बीच आज प्रदेश के 9 बागी कांग्रेस विधायक भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने अपनी सदस्यता रद्द करने के फैसले के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने 29 तारीख को हरीश रावत सरकार द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने की प्रक्रिया में भी इन विधायकों को शामिल ना करने का आदेश दिया था। अपनी याचिका में इन सभी MLA ने इस फैसले को भी खारिज करने की अपील की है।
सरकार के रुख के बारे में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, ‘भारत सरकार इस बात को लेकर स्पष्ट है कि उत्तराखंड में संविधान के मुताबिक शासन नहीं चल रहा था। वहां विनियोग विधेयक पारित नहीं हो पाया था। यह मामला अब बड़ी अदालत में है। इसलिए आखिरी फैसले का इंतजार करते हैं। जहां तक हमारी बात है, हमें लगता है कि राज्य में अनुच्छेद 356 के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।’
केंद्र द्वारा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर प्रतिक्रिया करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, ‘केंद्र को सुप्रीम कोर्ट में जाकर अपील करने का पूरा अधिकार है, लेकिन हमें उम्मीद है कि उन्हें वहां भी राहत नहीं मिलेगी।’ कांग्रेस से बगावत करने वाले 9 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने पर 23 अप्रैल को फैसला लिया जाना है। इन विधायकों में से एक उमेश शर्मा ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, ‘हाई कोर्ट का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। हम आज सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उच्चतम न्यायालय का फैसला हर किसी को स्वीकार्य होगा।’ बगावत करने के मसले पर उन्होंने कहा, ‘हम बच्चे नहीं हैं। हमने जो भी कदम उठाया, वह काफी सोचने-समझने के बाद उठाया।’
उच्च न्यायालय ने गुरुवार को हरीश रावत की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को फिर से बहाल करने का फैसला सुनाया था। AG ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आधारों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘उच्च न्यायालय का राष्ट्रपति की अधिसूचना को निरस्त करना गलत है। राष्ट्रपति की अधिसूचना उपयुक्त सामग्री पर आधारित है।’
उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करना शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है। रोहतगी ने कहा, ’18 मार्च को पारित विनियोग विधेयक दरअसल पारित ही नहीं हुआ और उसके बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने इसे प्रमाणित कर दिया। इसका वास्तव में अर्थ हुआ कि सरकार गिर गई। विधानसभा अध्यक्ष के आदेश से अल्पमत सरकार को जारी रहने दिया गया।’
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