उपराष्ट्रपति नायडू की जाँच ने हामिद अंसारी को कर दिया नंगा, सच जान मोदी भी रह गये दंग

नई दिल्ली। 2002 में गुजरात दंगा होने के बाद से आपने देखा होगा कि कैसे देश का मीडिया गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के पीछे हाथ धो के पड़ गया था. कांग्रेस सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल में हिन्दुओं को आतंकवादी साबित करने तक की कोशिश की गयी और मीडिया चुपचाप किसी पालतू की तरह कांग्रेस की हाँ में हाँ मिलाता चला गया. आखिर ऐसा कैसे हुआ और क्यों, इसके बारे में ऐसी सनसनीखेज जानकारी सामने आयी है, जिसे देख आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी.
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर गहराया संकट
दरअसल खुलासा हुआ है कि किस तरह से कांग्रेस ने देश की जनता के टैक्स के पैसे वामपंथी व् अपने पालतू पत्रकारों पर खुलकर लुटाये. सबसे हैरानी की बात ये है कि इस लूट के सिरमौर थे भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, जिनकी सरपरस्ती में राज्यसभा टीवी के जरिये खुली लूट की गयी.
हामिद अंसारी ने राज्यसभा टीवी के नाम पर अपने करीबियों को गलत तरीके से खूब फायदा पहुंचाया. आइये अब आपको हामिद अंसारी के जरिये कोंग्रेसियों व् उनके चमचों की संगठित लूट के बारे बताते हैं.
जनता के पैसों से पालतू पत्रकारों पर लुटाये अरबों रुपये
एम् के वेणु जो ‘द वायर’ वेबसाइट का मुख्य संपादक है और अपने वामपंथी व् पाकिस्तान समर्थक विचारों के लिए कुख्यात है, जिसने मोदी सरकार पर ‘असहिष्णुता’ फैलाने के आरोप लगाए थे और अवार्ड वापसी गैंग के जरिये सरकार को बदनाम करने की पूरी कोशिश की थी. इसके अलावा नक्सलियों को समर्थन, विचारों की अभिव्यक्ति के नाम पर जेएनयू के आजादी गैंग का समर्धन, पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी जैसे कई देश विरोधी कृत्यों के समर्थन ये वामपंथी पत्रकार करता आया है.
इसे व् इसके कई वामपंथी पत्रकार मित्रों को भारतीय सेना तक का खुलकर विरोध करते देखा जा सकता है. मेजर गोगोई ने जब पत्थरबाज को जीप के आगे बांधा था, तब भी इसने उसका विरोध किया था.
ऐसे वामपंथी व् देश विरोधी पत्रकार को कांग्रेस का करीबी होने का खूब फायदा पहुंचाया गया. राजयसभा टीवी में इसे और इसके जैसे कई वामपंथी व् कांग्रेसी पत्रकारों को एक्सपर्ट दिखाकर बुलाया जाता रहा और उन्हें इसके लिए हर महीने मोटी रकम दी गई.
देखिये एम् के वेणु पर राज्यसभा टीवी के जरिये कितना पैसा लुटाया गया.
इस दस्तावेज से पता चलता है कि हर महीने अकेले एम् के वेणु को ही 90 हजार से 1 लाख 35 हजार रुपये तक दिए जाते रहे. 2014 में मोदी सरकार आने के बाद भी हामिद अंसारी एम् के वेणु को बुलाते रहे और जनता के पैसे लुटाते रहे, मई 2017 तक लूट का ये सिलसिला चलता रहा.
अकेले एम् के वेणु को दिए 33 लाख रुपये
केवल 5 वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि राज्यसभा टीवी के जरिये 33 लाख रुपये से ज्यादा तो केवल एम् के वेणु को ही दे दिए गए. द वायर के एमके वेणु के अलावा कैच के भारत भूषण, इंडियास्पेंड.कॉम के गोविंदराज इथिराज और उर्मिलेश जैसे कई पालतू पत्रकारों पर लाखों रुपये लुटाये गए और बदले में वो अपने मालिकों की चाकरी बराबर करते रहे. इसके अलावा हामिद अंसारी जितनी बार भी विदेश यात्रा पर गए, उनके साथ राज्यसभा टीवी की एक के बजाय दो टीमें भेजी जाती थीं.
कोंग्रेसी पालतुओं का अड्डा बन गया था राज्यसभा टीवी
सबसे पहले हामिद अंसारी ने अपने करीबी गुरदीप सप्पल को राज्यसभा टीवी का सीईओ बना दिया. इसके बाद गुरदीप सप्पल ने कोंग्रेसी और कम्युनिस्ट पार्टी के चापलूस कार्यकर्ताओं को चैनल में नौकरी देनी शुरू कर दी. तनख्वाह भी ऐसी मोटी दी गयी, जितनी बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को भी नहीं मिलती.
चैनल पर लाखों रुपये खर्च करके ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाते रहे, जिनका संसदीय लोकतंत्र से दूर-दूर तक कोई लेना-देना ही नहीं था. हद तो तब हो गयी जब अपना कार्यकाल ख़त्म होने के वक़्त राज्यसभा टीवी के सीईओ गुरदीप सप्पल ने रागदेश नाम से एक फिल्म बनवा डाली.
जनता के पैसों से हीरोइन बन गयी दिग्विजय सिंह की पत्नी
कहा जा रहा है कि इन महाशय ने राज्यसभा टीवी के बजट से 14 करोड़ रुपये इस फिल्म को बनाने के लिए उड़ा दिए. इस फिल्म के जरिये दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय को हीरोइन बनवा दिया.
लूट का आलम तो देखिये कि इस फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी इतनी बेकार है कि देखकर लगता ही नहीं कि इस पर 4-5 करोड़ से ज्यादा का खर्च आया होगा, बाकी के पैसे लुटेरे मिलकर डकार गए. फिल्म बनने के बाद इसके प्रमोशन के लिए भी 8 करोड़ रुपये का बजट दे दिया गया. जबकि इस पर ज्यादा से ज्यादा 2 करोड़ का खर्च ही बताया जा रहा है. यहाँ भी खुलकर लूट की गयी.
इतनी खुली लूट के बावजूद बेशर्मों की तरह माननीय उपराष्ट्रपति महोदय ने अपनी कुर्सी छोड़ते वक़्त अल्पसंख्यकों को असुरक्षित बताकर अपने बचाव का आखिरी दांव भी खेल लिया ताकि यदि पकडे गए तो अल्पसंख्यक का रोना रो देंगे.
वेंकैया नायडू ने दिए जांच के निर्देश
बहरहाल अगस्त 2017 में जब वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति बने, तब उनकी नजर इन घोटालों पर पड़ी और उन्होंने घोटालों की इन रिपोर्ट्स पर संज्ञान लेते हुए राजयसभा टीवी में हुए पूरे खर्च का ईमानदारी से ऑडिट कराने के निर्देश दिए.
यह जानकारी सामने आई है कि 2011 में राज्यसभा टीवी शुरू होने से लेकर अब तक इस पर 375 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. इतना ज्यादा बजट तो बड़े-बड़े प्राइवेट चैनलों का भी नहीं होता.
बहरहाल अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे कि क्यों कुछ पत्रकार कांग्रेस की चाटुकारिता में इस कदर लगे रहते हैं कि उन्हें राहुल गाँधी से ज्यादा समझदार और मोदी से ज्यादा बुरा इस दुनिया में कोई दिखता ही नहीं.
जेल जाएंगे हामिद अंसारी?
बहरहाल अब जांच शुरू हो गयी है तो पोल-पट्टी भी धीरे-धीरे खुलेगी. सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. हालांकि इसके बाद क्या होगा हम आपको अभी से बताये देते हैं. सबसे पहले कांग्रेस इसे राजनीतिक साजिश बता कर पल्ला झाड़ेगी. हामिद अंसारी क्योंकि मुस्लिम समुदाय से आते हैं, लिहाजा इसे मुस्लिम समुदाय से जोड़ दिया जाएगा.
वामपंथी पत्रकारों की फ़ौज, जिन्होंने कांग्रेस के वक़्त खूब ऐश की थी, अपनी वफादारी निभाते हुए बीजेपी और पीएम मोदी पर टूट पड़ेंगे. टीवी की स्क्रीन काली कर दी जायेगी. कोंग्रेसी चमचे खैरात में मिले अपने-अपने अवार्ड वापस करने के लिए लाइन लगा लेंगे.
दिग्विजय सिंह सरीखे नेता इसे आरएसएस की साजिश बताएँगे. कोंग्रेसी गैंग इसे लोकतंत्र पर हमला बताएगा और मोदी को तानाशाह, नीच और ना जाने क्या-क्या गालियां दी जाएंगी. इस मामले से मीडिया का ध्यान हटाने के लिए किसी छोटी सी खबर का हव्वा बनाकर जनता के सामने परोस दिया जाएगा. यदि फिर भी मामला अदालत तक पहुंच गया तो सिब्बल जैसे वकीलों की फ़ौज समेत न्यायपालिका में बैठे कोंग्रेसी पालतू भी बचाव में लग जाएंगे.
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