एक फीसदी पर्यावरण शुल्क देकर खरीद सकते हैं दिल्ली एनसीआर में डीजल कार
नई दिल्ली।प्रमुख आटोमोबाइल कंपनियों को भारी प्रोत्साहन देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2000 सीसी तथा उसके ऊपर की इंजन क्षमता वाली डीजल कारों के दिल्ली-एनसीआर में पंजीकरण पर लगी आठ माह पुरानी रोक हटा दी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कारों की एक्स शोरूम कीमत पर 1 फीसदी पर्यावरण संरक्षण शुल्क देने के बाद ऐसी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति दे दी। यह टैक्स निर्माता, डीलर या खरीददार को अदा करना है।
परिवहन प्राधिकरणों से कहा गया है कि 2000 सीसी या उससे ऊपर की क्षमता के इंजन वाली डीजल कारों का पंजीकरण तभी करें जब उन्हें ग्रीन टैक्स अदा किए जाने का सबूत दिया जाए। टैक्स की यह राशि केंद्र सरकार सार्वजनिक बैंक में खोले जाने वाले एक विशेष खाते में जमा करवाएगी। कोर्ट ने कहा कि 2000 सीसी या उससे ऊपर की कारों पर उनकी कीमत का एक फीसदी ग्रीन टैक्स और बढ़ाया जाएगा या नहीं इस बारे में फैसला किया जाएगा। इस मुद्दे पर कि क्या छोटी कारों को भी पर्यावरण शुक्ल के दायरे में लाना चाहिए, कोर्ट ने कहा, इस पर बाद में फैसला किया जाएगा।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को टैक्स लगाने की शक्ति हासिल नहीं है यह काम सरकार का है। उस समय बेंच ने कहा था कि उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वह चाहती है कि बहस में सरकार कार निर्माताओं को शामिल करे। कोर्ट ने कहा कि था कि यह वादी-प्रतिवादी का मुकदमा नहीं है हम सिर्फ दिल्ली को जीने लायक बनाना चाहते हैं।
केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने 16 दिसंबर 2015 को लगाए दिल्ली एनसीआर में 2000 सीसी या उससे ऊपर की कारों पर प्रतिबंध के आदेश में संशोधन की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसा कोई तर्क नहीं है कि 2000 प्लस सीसी की कारें ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं। उन्होंने कहा था कि बड़ी कारों में प्रदूषण के मानक ज्यादा सख्ती से लागू होते हैं।
अटार्नी ने कहा था कि प्रतिबंध से दिक्कतें पैदा हुई हैं इससे यह संदेश गया है कि हमारी नीतियों में एकरसता नहीं है। इससे विदेशी निवेश भी प्रभावित हुआ है जिससे रोजगार के अवसरों पर असर पड़ा है। विदेश निवेशक कह रहे हैं कि यदि प्रतिबंध नहीं हटाया गया तो हम वापस चले जाएंगे।
सरकार कहना है कि वह एक अध्ययन करवा रही है जिसमें डीजल कारों के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को देखा जाएगा। साथ ही एक संभावित ग्रीन टैक्स लगाने के बारे में भी विचार किया जा रहा है।
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