एक रिटायर अफसर को कैसे बना दिया नगर विकास सचिव

लखनऊ /इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास विभाग में प्रमुख सचिव एसपी सिंह के काम करने पर रोक लगा दी है ।इस बारे में कोर्ट ने मुख्य सचिव से हलफनामा माँगा है। कोर्ट ने पूंछा है कि एक रिटायर अधिकारी को आखिर कैसे सचिव बना दिया गया । क्या कोई और योग्य अफसर नहीं मिला. जस्टिस अरुण टंडन और एके मिश्रा की कोर्ट ने इस बारे में आदेश जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।
आजम खान के मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले श्री सिंह 2 साल से इस पद पर काम कर रहे थे. महत्वपूर्ण है कि यूपी सरकार के नगर विकास विभाग में प्रमुख सचिव पद पर तैनात रिटायर्ड आईएएस (प्रोन्नत) एसपी सिंह की तैनाती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 सितम्बर को भी सवाल उठाया था। अदालत ने यूपी सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन से इस नियुक्ति को लेकर शपथ पत्र दाखिल करने को कहा था। इस मामले अगली सुनवाई आज यानि 5 अक्टूबर को हुई.
आजम के करीबी हैं एसपी सिंह
बताया जाता है कि एसपी सिंह नगर विकास मंत्री मो आजम खां के करीबी हैं। इसीलिए वह विभाग में सचिव पद पर रहते हुए प्रमुख सचिव का कार्यभार भी संभालते रहे। वर्ष 2013 में रिटायर होने के बाद आजम की सिफारिश पर ही प्रदेश सरकार ने एसपी सिंह को सेवाविस्तार दे दिया। जिसके बाद से दो सेवाविस्तार प्राप्त कर चुके एसपी सिंह नगर विकास विभाग में प्रमुख सचिव, सचिव और मंत्री के ओएसडी जैसे तीन महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में एसपी सिंह की काबिलियत पर सवाल उठाए गए हैं। किस आधार पर नगर विकास जैसे अहम विभाग में आईएएस अधिकारियों को तैनाती नहीं दी गई।
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