एन आर सी के महत्वपूर्ण बिंदुओं को सरकार को स्पष्ट करना चाहिये

 भारतीय मुस्लिम जो भारत का ही अहम हिस्सा हैं उन्हें आश्वस्त करना भी सरकार का धर्म है

 राहुल कुमार गुप्त
सत्ता दल व उसकी नीतियों का विरोध विपक्ष अपना धर्म मानती है पर एक देश के सभी नागरिकों का जिसमें दल व संस्थाएं सभी समाहित हैं का कर्तव्य और धर्म, राष्ट्र का हित है।
मोदी सरकार -1 की नोटबंदी और अव्यवस्थित जीएसटी ने जरूर देश की अर्थव्यस्था की कमर तोड़ के रख दी थी लेकिन तब विपक्ष शांत रहा, जनहितों के साथ खिलवाड़ हुआ था और विपक्ष शांत था, तब उसे जन हित और राष्ट्रहित से कोई सरोकार न था।
क्योंकि तब अपनी और कुछ अपनों के लिये सब शाँत थे, देश ने यह दौर भी देखा है।
मोदी-1 सरकार के दो असफल प्रयोग थे तो विपक्ष भी यहाँ असफल से ज्यादा असफल नज़र आया। अपनी इसी असफलता के चलते पुनः मिशन 2019 भी इनके हाथ न आया।
अब जब मोदी-2 सरकार ने एक के बाद एक-एक कर के तीन राष्ट्रहित से संबंधित ऐसे मुद्दों की सर्जरी की जो न भूत में किसी के वश का था न भविष्य में तब इन मुद्दों पर विपक्ष और विरोधियों का रवैया गर्म नज़र आया। क्योंकि इन लाईलाज समझे जाने वाले मुद्दों का ईलाज हुआ तो विपक्ष और विरोधियों के बीच अपनी जमीन खिसकती नज़र आयी और अब इसी जमीन को बचाने के लिये राष्ट्रहित व संविधान के खिलाफ विपक्ष और विरोधी स्वर एक हो गये। बिना किसी विश्लेषण के इसे धार्मिक रंग देकर देश का माहौल अशांत कर रखा है।
वजह भी है अर्थव्यवस्था कमजोर होने पर भी देश में विरोध की एक लहर तक न उठी न तीन तलाक पर, न धारा-370 पर किन्तु नागरिकता बिल-2019 के पास होते ही उसकी मूल समस्या से इतर हटकर उसे धर्म से जोड़कर देश तोड़ने के कार्य में उत्प्रेरक के साथ वर्धक के कार्य में नज़र आने लगे।
और देश का अधिकांश हिस्सा आग और अशांति के हवाले कर दिया गया।
विरोध करने वालों को इस नागरिकता बिल की महत्ता से ( जो स्वंय मनमोहन सरकार में तैयार किया गया था ) कोई लेना-देना नहीं न ही वर्तमान में राष्ट्र की चिंता है न भविष्य के राष्ट्र की चिंता है।
विपक्ष को और कुछ मुस्लिम नेताओं को जरूर लगता है कि मोदी सरकार का हर कार्य उनके विरोध में है जबकि वास्तव में भारत देश की सरकारें वो चाहें किसी दल की हों धर्मनिरपेक्ष होती हैं और अपने सभी नागरिकों के हित के लिये योजनाएं लागू करती हैं। अल्पसंख्यकों के हित के लिये मोदी-1 सरकार ने भी बहुत सी योजनाओं का क्रियान्वयन किया और अब भी उनके हितार्थ कई कार्य शुरू हैं।
 लेकिन विपक्ष को एक मुद्दा मिला की नागरिकता बिल में पड़ोसी मुस्लिम राष्ट्र के उन तमाम मुस्लिमों को यहाँ की नागरिकता न दी जायेगी जो अवैध रूप से यहाँ रह रहे हैं और जल्द उन्हें उनके देश जाना होगा। किन्तु इन राष्ट्रों के दशकों से पीड़ित और शोषित अल्पसंख्यकों पर ( जिनका और कहीं ठिकाना नहीं है ) भारत सरकार स्नेह का मरहम रखकर मानवता निभाने के इतिहास की परंपरा को पुनः शुरू किया। इसके पहले की सरकारें कोशिश तो करतीं रहीं पर वोटबैंक की राजनीति के चलते इसे अपने लक्ष्य तक न पहुँचा सकीं। एन आर सी की सही जानकारी न होना भी लोगों में भय फैलाये है। सरकार को स्पष्ट करना होगा और कई बिन्दुओं को नरम करना पड़ेगा।
कैब के चलते पड़ोसी देश के पीड़ितों की बात आयी तो विपक्ष ने म्यांमार के रोहंगिया मुस्लिमों का मामला उठाया कि उनको नागरिकता दी जाये।
 म्यांमार सरकार ने स्पष्ट किया था कि हमारे देश में 10 लाख से अधिक रोहंगिया मुस्लिम रह रहे थे जो बांग्लादेश के ही मूल निवासी हैं और वो अपने देश में जाकर अपना जीवन यापन करें। सन् 2017 के मध्याह्न में म्यांमार का माहौल इसी कारण से अशांत था। तब वहाँ से विस्थापितों में से कई भारत के कुछ प्रदेशों में आकर बसे तो ज्यादातर बांग्लादेश में।
तब इसी कथित मुस्लिम विरोधी मोदी सरकार-1 ने बांग्लादेश में आये रोहंगियाओं की मदद के लिये ‘ऑपरेशन इंसानियत’ शुरू की जिसके तहत उनके जीवन यापन के लिये जरूरी सारी सुविधाओं का इंतेजाम किया। यह इंतेजाम तब न विपक्ष को दिखा न कुछ बड़े मुस्लिम नेताओं को।
कैब के तहत सरकार का कहना यह है कि यह नागरिकता बिल का आधार धर्म न होकर पड़ोसी मुस्लिम देशों के पीड़ित और शोषित शरण में आये अल्पसंख्यकों को मानवीय जीवन देना है। जबकि विपक्ष इसे संविधान के भाग-3 में उल्लेखित मूल अधिकारों के तहत आर्टिकल-14 ( विधि के समक्ष समता ) की अवमानना बता रहा है। संविधान में नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार संघ के पास है। भारत सरकार ने अपने सीमित संसाधनों को ध्यान में रखते हुए अधिक पीड़ित शरणार्थियों को पहली मदद का न्याय संगत कार्य किया है। इस पर विपक्ष का यह हंगामा समझ से परे था।
अब देश भर में एन आर सी के खिलाफ एक समुदाय और विपक्षी दल आक्रोश में हैं।
आंदोलन, जनता या दलों का हक है और आश्वस्त करना सरकार का धर्म है।
एनआरसी पूरे देश में लागू करने की बात पे बवाल और बढ़ गया है। यह बेवजह का डर इस अशांति का कारण है। सरकार को भी स्पष्ट करना पड़ेगा एनआरसी के महत्वपूर्ण बिंदुओं को
भारतीय मुस्लिमों को जो कि हमारे ही नागरिक हैं जो भारत का अहम हिस्सा हैं उन्हें आश्वस्त करना भी सरकार का धर्म है। ताकि विपक्ष अपनी हताशा को नया रूप न दे सके और भारत के तमाम हमारे ही भाईजनों के बीच भय न रहे।
 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button