कभी करोड़पति थी ये फैमिली, आज खा रही घास की रोटी-पीपल का साग

दोनों पैरों से दिव्यांग रवनीर सिंह का परिवार आगरा के शमशाबाद रोड के पास स्थित कहरई मोहल्ले में रहता है। 3 बेटियां हैं और ये सभी पैर से दिव्यांग हैं। रवनीर के मुताबिक, ”छह बीघा खेती की जमीन थी। 5 साल पहले 60 लाख रुपए में मकान लिया, जिसके लिए एक बीघा जमीन बेची और बाकी प्रधान महेंद्र सिंह राणा के पास गिरवी रखी। पूर्व में प्राधान के जरिए ही 14 लाख का लोन लिया था, जिसमे से ज्यादातर पैसे खर्च हो चुके थे। इस लोन को चुकाने के लिए 27 लाख का लोन और लिया। लोन निकलते ही 14 लाख पुराने लोन के दिए और 5 लाख मैनेजर ने ले लिए। बाकी प्रधान को जमीन वापस करने को दिए। प्रधान अभी भी सवा करोड़ का बकाएदार बता रहा है और जमीन नहीं दे रहा है।
बेटियों ने कहा, ”वे नेताओं से लेकर अधिकारियों के पास गईं, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। आर्थिक तंगी की वजह से पूरा परिवार भुखमरी के कगार पर आ गया है। उनकी पढ़ाई बंद हो गई है। फीस जमा न कर पाने की वजह से संस्थान ने एक बहन को निकाल भी दिया है। आर्थिक तंगी के बीच लोग विकलांगता का मजाक उड़ाते हैं। अब तो हर जगह से हार चुके हैं। ऐसे में उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से स्कूल की फीस जमा करने या मौत देने की मांग की है।
पीड़ित परिवार के अनुसार, सपा सरकार के शासनकाल में ताजगंज थाने और एसपी प्रीतेंद्र सिंह से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब योगी सरकार से कुछ उम्मीद है। न्याय मिले तो ठीक, वरना पूरा परिवार सुसाइड कर लेगा। बता दें, मामला हाईलाईट होने पर अधिकारिओं ने पीड़ित परिवार को मदद का आश्वासन दिया था। पीड़ित बहनों ने बीते 28 अप्रैल को मां के साथ रीता बहुगुणा जोशी से भी गुहार लगाई। उन्होंने इलाज अपने फंड से कराने का वादा किया और चली गईं, लेकिन पीड़ितों की कोई मदद नहीं हुई|
इस मामले में बैंकिंग एक्सपर्ट एडवोकेट अनिल श्रीवास्तव ने कहा, ”बैंक का कर्जा माफ करना तो कानूनन मुश्किल है, अगर परिवार खुद को दिवालिया भी घोषित करे तो भी संपत्ति जब्त होनी ही है। पढ़ाई और अन्य कामों के लिए सरकारी मदद जरूर मिल सकती है। डीएम गौरव दयाल का कहना है कि पीड़ित परिवार के लिए एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा गया है, आगे की रिपोर्ट आने पर उचित मदद की जाएगी।
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