कभी रामविलास पासवान और मायावती को हराने वाली मीरा कुमार का सियासी सफर!

नई दिल्ली। बीजेपी के रामनाथ कोविंद से मुकाबले के लिए विपक्ष ने मीरा कुमार को मैदान में उतार दिया है. इसके साथ ही साफ हो गया राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला दलित बनाम दलित ही होगा.  आज दिल्ली में विपक्षी नेताओं की बैठक हुई और राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति का रास्ता बंद हो गया. विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के बहाने ही एकता का संदेश देने की कोशिश कर रहा है.

72 साल की मीरा कुमार बिहार के सासाराम की रहने वालीं हैं. मीरा कुमार बड़े दलित नेता और देश के भूतपूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं. राजनीति में कदम रखने से पहले वो विदेश सेवा की अधिकारी भी रह चुकी हैं. साल 1970 में उनका चयन भारतीय विदेश सेवा के लिए हुआ. इसके बाद उन्होंने कई देशों में अपनी सेवाएं दी.

मीरा कुमार 2009 से 2014 के बीच वह लोकसभा की स्पीकर रहीं है. वह लोकसभा की पहली महिला स्पीकर के रूप में 3 जून 2009 को निर्विरोध चुनी गयी. मीरा कुमार पेशे से वकील भी रही हैं. मनमोहन सिंह की सरकार में यूपीए-1 के दौरान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रह चुकी हैं.

8वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश के बिजनौर से पहली बार जीत हासिल करने वाली मीरा कुमार लगातार पांच बार सांसद रहीं हैं. मीरा कुमार ने अपने पहले ही चुनाव में दिग्गज दलित नेता रामविलास पासवान और बीएसपी प्रमुख मायावती को हराया था. साल 2014 के चुनाव में उन्हें मोदी लहर का सामना करना पड़ा. वे बिहार की सासाराम सीट से भाजपा के छेदी पासवान के सामने हार का सामना करना पड़ा. वे तीन बार दिल्ली की करोलबाग सीट से भी सांसद रहीं.

मीरा कुमार को कांग्रेस, आरजेडी, एसपी, बीएसपी, डीएमके, नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरएलडी, जेडीएस जेएमएम, टीएमसी, सीपीएम, सीपीआई, आरएसपी, एनसीपी, केरल कांग्रेस का समर्थन हालिस है, मीरा कुमार के समर्थन में 3 लाख 77 हजार 578 वोट हैं, उन्हें जीतने के लिए करीब पांच लाख 49 हजार वोट और चाहिए. मीरा कुमार के समर्थन में अभी करीब 34.4 फीसदी वोट हैं. इस आंकड़े को देखे हुए उनकी जीत नामुमकिन ही लग रही है.

 

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