करोड़ों के घोटालेबाज यादव सिंह पर यूपी सरकार की इनायत, तो 33 रुपये के लिए अफसर भेजा गया जेल

तहलका एक्सप्रेस प्रतिनिधि, लखनऊ। यूपी की सरकारी मशीनरी कितनी तेज तर्रार है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज 33 रुपये की गड़बड़ी के लिए पराग दूध को-ऑपरेटिव के महाप्रबंधक जेपी त्रिपाठी को जेल भेज दिया गया। तो वहीँ नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह जिनपर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है उनपर कार्रवाई करना तो दूर सरकार उनको बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
जी हां जेपी त्रिपाठी पर 33 रुपये की गड़बड़ी का आरोप है लेकिन यूपी सरकार के दुग्ध मंत्री राममूर्ति वर्मा की नजर में ये बहुत बड़ा घोटाला है। लिहाजा राममूर्ति अयोध्या स्थित पराग डेयरी केंद्र पहुंच गए और अपनी पड़ताल शुरू कर दी। जांच में मंत्री को मार्केट में भेजे जा रहे दूध की जांच सही मिली लेकिन फुल क्रीम मिल्क (एफसीएम) दूध की जांच में वसा मानक से प्वाइंट फाइव (.5) कम पाई गई थी। हालांकि इससे पूर्व की गई जांच में इसी दूध में वसा प्वाइंट वन (.1) कम पाया गया था। उत्पादन यूनिट में देशी घी का स्टाक रजिस्टर के अनुरूप नहीं पाया गया। भंडारण (स्टोर) में दूध पाउडर स्टॉक रजिस्टर से 400 किलो अधिक पाया गया था। मक्खन के स्टॉक में भी अंतर पाया गया। इसके साथ ही कैश रिकॉर्ड की जांच में 33 रुपये का अंतर पाया गया था। इसके बाद मंत्री राममूर्ति वर्मा ने जे पी त्रिपाठी के खिलाफ न सिर्फ एफआईआर दर्ज कराई। बल्कि उन्हें गिरफ्तार करवाकर जेल भी भिजवा दिया| हालांकि पराग डेयरी के महाप्रबंधक जे पी त्रिपाठी का आरोप है कि उन्हें मुख्यमंत्री, मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेताओं की बात नहीं मानने की सजा दी जा रही है। जीएम का कहना है कि प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री राम मूर्ति वर्मा ने पांच लोगों को नौकरी पर रखने की सिफारिश की थी, लेकिन जगह न होने के कारण मैं नौकरी नहीं दे सका। इसी बात से मंत्री मुझसे नाराज थे| जिसके बाद सीएम से आदेश करवाकर मंत्री ने डेयरी पर छापा मारा और फर्जी मुकदमा दर्ज करवाकर मुझे गिरफ्तार करवाकर जेल भिजवा दिया। हालांकि मामला चाहे जो हो अखिलेश सरकार के मंत्री ने जिस तेजी से कार्रवाई की है उसपर कई सवाल जरूर खड़े होते हैं| जहां एक ओर जेपी त्रिपाठी को महज 33 रुपये की गड़बड़ी के लिए जेल भेज दिया गया वहीँ नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह जिनपर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है उनपर सरकार मेहरबान है| यादव सिंह पर कार्रवाई करना तो छोड़िये सरकार उनको बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई | अब सवाल यह उठता है कि आखिर सपा सरकार यादव सिंह को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है जबकि उसपर एक महाघोटाले का आरोप लगा है। आपको बता दे कि सपा सरकार यादव सिंह मामले की जांच सीबीआई से कराने मे शुरुआत से ही आनाकानी कर रही थी, लेकिन बीते 16 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है। उसने बीते दिन यादव सिंह के कई ठिकानों पर छापेमारी भी की। अब यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे एक याचिका दाखिल की है। सरकार ने यादव सिंह मामले का केस भारत के जाने माने चार ऐसे वकीलों को सौंपा है जिनकी फीस लाखों मे हैं। सपा सरकार जिस तरह से यादव सिंह को बचाने मे जुटी है उससे यह बात तो जाहिर हो रही है कि कहीं न कहीं इस मामले मे कई ऐसे सफ़ेदपोशो के नाम भी शामिल हैं जिनका संबंध समाजवादी पार्टी से है और इनका नाम उजागर होने से सपा सरकार को खासा नुकसान पहुँच सकता है।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button