कश्मीर के ‘हमदर्द’ पाक को घर में पटकनी, लगे आजादी के नारे

वॉशिंगटन। पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ यूएन जनरल असेंबली में कश्मीर का राग आलाप रहे थे, उसी दौरान बाहर आजादी के नारे लग रहे थे। यूएन के बाहर हो रहा मुहाजिरों का प्रदर्शन मीडिया के कैमरों में जगह नहीं बना पाया, पर अब सोशल मीडिया पर प्रदर्शन की तस्वीरें और विडियो वायरल हो रहे हैं। पाकिस्तान से ‘आजादी’ के नारे लगाते सैकड़ों मुहाजिर इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि पाक सरकार उनके साथ कैसा बर्ताव कर रही है।
पाकिस्तान सरकार इस बात से हैरान है कि एक तरफ भारत के साथ कश्मीर को लेकर चल रही उठापटक के बीच उसके ही देश के लोग देश से आजादी मांग रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये वही लोग हैं, जो पाकिस्तान के वजूद की अहम वजह बने थे। दरअलस, मुहाजिर भारत के मुस्लिम शरणार्थियों को कहा जाता है जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए थे।

यूएन के बाहर हुए इस प्रदर्शन की क्लिप्स देखकर पाकिस्तान में सत्ताधारी पार्टी की सांसद मार्वी मेमन ने कहा, ‘यह चौंकाने वाला है। वाकई यकीन नहीं हो रहा। मेरे पास इसके लिए कोई शब्द नहीं है।’ मेमन ने कहा कि आजादी 1947 में ही हासिल हो गई थी। अगर कोई तकलीफ है, तो उन्हें पाकिस्तान सरकार से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘इसे देखकर हर पाकिस्तानी का खून उबल रहा होगा।’
यूएन के बाहर हुआ प्रदर्शन ठीक वैसा ही है, जैसा कश्मीर में अलगाववादी करते हैं। आजादी-आजादी के नारे लगाने वाले ये लोग दरअसल अमेरिका में ‘मुहाजिर कौमी मूवमेंट (MQM)’ के सदस्य थे। संगठन के लोगों ने कहा, ‘जिस वक्त पीएम नवाज शरीफ यूएन को कश्मीर में भारत के अत्याचार की बात कर रहे थे, उसी वक्त एमक्यूएम का यूएसए चैप्टर पाकिस्तान में पांच करोड़ मुहाजिरों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रहा था।’

विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले मोहम्मद अरशद हुसैन ने कहा, ‘पांच करोड़ मुहाजिर और उनकी राजनीतिक पार्टियों को पाकिस्तान की रूलिंग पार्टी के लोग भारतीय और रॉ अजेंट कहते हैं। पाकिस्तान में न हमें न्याय मिल सका है और न ही सुरक्षा। इसीलिए हमें यूएन के सामने प्रदर्शन करना पड़ा।’ हालांकि, पाकिस्तान का मानना है कि इस प्रदर्शन के पीछे भारत की साजिश थी।
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में यूके और यूएस में मुहाजिरों की तादाद तेजी से बढ़ी है और इसकी वजह कराची में एकक्यूएम पर पाकिस्तान रेंजर्स की ताबड़तोड़ कार्रवाई बताई जा रही है। इसके अलावा, पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे बलोचिस्तान के नेता भी भी देश के बाहर इस समस्या का हल निकालने की कोशिशों में लगे हुए हैं। यूके, यूएस से लेकर नई दिल्ली तक उन्होंने कई नेताओं से मिलकर अपनी परेशानी रखी है।
भारत ने इस मामले में बातचीत का दरवाजा खुला रखा है। यूएस के भी कुछ सासंदों ने पाकिस्तान को नसीहत दी है कि वह बलूचिस्तान को अपने फैसले लेने दे। इन हालात में, पाकिस्तान खुद को हर तरफ से मुश्किल में फंसा पा रहा है।
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