कहीं दिखावा न बन कर रह जाए योगी का जनता दरबार

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- दरअसल समाजसेवी संजय ने बीते अप्रैल महीने की ८ तारीख को मुख्यमंत्री कार्यालय में आरटीआई दायर कर मुख्यमंत्री योगी के जनता दरबार से सम्बंधित १४ बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी
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- संजय को दी गई सूचना के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय के पास अब तक हुए जनता दरबारों की संख्या, जनता दरबारों नें आये फरियादियों की संख्या,जनता दरबारों नें आये फरियादियों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों की संख्या, जनता दरबारों नें आये फरियादियों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों में से निस्तारित हो चुके प्रार्थना पत्रों की संख्या की कोई सूचना नहीं है | मंडल ने संजय को यह भी बताया है जनता दरबारों नें आये फरियादियों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों के आधार पर किसी लोकसेवक को दण्डित किये जाने की भी कोई सूचना मुख्मंत्री कार्यालय में नहीं है
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- जनता दरबार में शामिल होने के लिए तय की गई प्रक्रिया के सबाल पर मंडल नसंजय को बताया है कि जनता दरबार में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में शामिलहुआ जा सकता है जिसके लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है |
नहीं कोई सूचना उपलब्ध है
मुख्यमंत्री कार्यालय के पास अब तक हुए जनता दरबारों से सम्बंधित कोई भी सूचना न होने पर चकित हुए समाजसेवी संजय ने कहा कि जनता दरबार में आयेमामलों के अनुश्रवण की व्यवस्था के अभाव में सीएम के जनता दर्शन महज खबर बन कर रह जायेंगे और इन दरबारों में आई फरियादें भी सूबे की नौकरशाही की लाल-फीताशाही के मकड़जाल में उलझकर अपना दम तोड़ देंगी
मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय ने बताया कि वे योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जनता दरबार में आये मामलों के अनुश्रवण की प्रभावी व्यवस्था करने औरदरबार में आये मामलों की जांच में दोषी पाए गए लोकसेवकों को दण्डित किये जाने की प्रणाली विकसित करने की मांग भी कर रहे हैं |
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