कांग्रेस के ‘पीके’ आशीष कुलकर्णी ने दिया इस्तीफा, खोले पार्टी के राज

मुंबई। लंबे समय तक कांग्रेस के वॉर रूम और राहुल गांधी के ऑफिस के रणनीतिकार रहे आशीष कुलकर्णी ने इस्तीफा दे दिया है। कुलकर्मी ने कांग्रेस पर ‘भाई-भतीजावाद’ और ‘सामंतवाद’ का आरोप लगाया है। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस पर यह आरोप लगा इस्तीफा देने वाले कुलकर्णी ने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में ऐसे ही नेताओं के साथ काम किया है जिन्होंने अपने परिवार और दोस्तों को आगे बढ़ाया।

कुलकर्णी ने अपना इस्तीफा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भेजा है। कड़े शब्दों में लिखे अपने 3 पेज के इस्तीफे में कुलकर्णी ने जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी की कार्यशैली और संस्कृति पर सवाल उठाए हैं, वहीं कांग्रेस हाईकमान और टॉप लीडरशिप से लेकर पार्टी के सीनियर नेताओं पर भी आरोप लगाए हैं। हालांकि इन सारे आरोपों पर कांग्रेस की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। आशीष का कहना है कि 2014 से लेकर अब तक कांग्रेस अपनी हार का कारण नहीं समझ पाई है। उनका कहना है कि पार्टी के सीनियर नेता ही राहुल की नेतृत्व क्षमता में कोई भरोसा न होने की धारणा बनाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि कुलकर्णी 2009 से वॉर रूम से जुड़े थे।

अब लेफ्ट की ओर कांग्रेस का झुकाव 
आशीष ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के भीतर परिवारवाद का बोलबाला है और अमीर लोगों को तरजीह दी जाती है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक वैचारिक तौर पर कांग्रेस की मध्यमार्गी रणनीति रही है, उसे छोड़कर कांग्रेस अब लेफ्ट की तरफ जा रही है। पिछले कुछ अर्से से कांग्रेस कश्मीर के अलगाववादियों और जेएनयू के विरोधियों से सहानुभूति जता रही है। वहीं महाराष्ट्र, गोवा, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और असम में कांग्रेस की हार का कारण विभिन्न स्तरों पर पार्टी में मौजूद कुप्रबंधन और अनिर्णय की स्थिति को बताया। उन्होंने आशंका जताई कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनाव में भी यही देखने को मिलेगा।

‘दिग्गजों ने फैलाई प्रियंका गांधी वाली अफवाह’
कुलकर्णी ने कहा कि हाल ही में प्रियंका गांधी के कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष बनने की संभावना वाली खबर मीडिया में आई थी, उसके पीछे पार्टी के कुछ दिग्गजों का हाथ है। उन्होंने ही ऐसी अफवाहों को हवा देने का काम किया। आशीष ने आरेाप लगाया कि पिछले कुछ सालों में पार्टी जमीनी हकीकत से पूरी तरह से कट चुकी है। यह बदलते सियासी मिजाज के हिसाब से अपने को ढालने में नाकाम रही है। पार्टी में वर्कर्स बुरी तरह से हतोत्साहित है और काडर खत्म हो रहा है। विपक्ष के तौर पर कांग्रेस का रुख आम लोगों को अपनी ओर खींचने में बुरी तरह से नाकाम रहा है।

कांग्रेस के ‘पीके’ थे आशीष कुलकर्णी
जिस तरह से चुनावी रणनीतिकार के रूप में आज प्रशांत किशोर का जिक्र होता है वैसे ही आशीष कुलकर्णी भी एक समय कांग्रेस के पीके थे। कुलकर्णी वर्षों तक शिवसेना चीफ बाल ठाकरे के करीबी रहे। 2003 में जब उद्धव ने पार्टी की कमान संभाली तब नारायण राणे से करीबी होने के चलते कुलकर्णी को साइडलाइन कर दिया गया। नारायण ने उस दौरान शिवसेना को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। राणे के साथ कुलकर्णी भी कांग्रेस में चले आए।

फिलहाल राणे के बीजेपी में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि कुलकर्णी का कहना है कि उनके इस्तीफे को नारायण राणे से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। कुलकर्णी ने 2009 के लोकसभा चुनावों में मुंबई की सभी 6 लोकसभा सीटों पर अशोक चव्हाण को क्लीन स्वीप करने में मदद की।

इसके बाद कुलकर्णी को 2009 महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी दी गई। कांग्रेस को लगातार तीसरी बार जीत हासिल हुई। इसके बाद कुलकर्णी के टैलंट पर गांधी परिवार की नजर पड़ी और उन्हें दिल्ली ऑफिस बुला लिया गया था। हालांकि कुलकर्णी ने मिरर से बात के दौरान कहा कि वह राहुल गांधी पर व्यक्तिगत तौर पर आरोप नहीं लगा रहे हैं।

 

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