कांग्रेस रूपी सांप ने हार्दिक का हाथ थामकर “अपने मुँह में पाटीदारो की आरक्षण रूपी छछून्दर को पकड़ लिया है”

लखनऊ। राहुल गांधी को भले ही वोटरों ने बार-बार नकारा हो लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए सोनिया गांधी की बेचैनी जब ना तब झलकती रही है। सोनिया का अब जैसे एक ही लक्ष्य है कि कैसे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर एक बार बेटे को बैठा देख लें। लेकिन विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, कांग्रेस का बीड़ा उठाने वाले राहुल गांधी लगभर हर चुनावी समर में औंधे मुंह गिरते रहे हैं और उठने की कोई उम्मीद भी नहीं नजर आती। राहुल की इस स्थिति को लोग उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता से सबसे ज्यादा जोड़कर देखते हैं। उनमे  जोश इतना रहता है कि चुनाव जीतने की लालसा में सही गलत सब  काम कर जाते है जो इन्ही के लिए खाई बन जाते है।

गुजरात चुनाव जीतने के लिए अपने को हिंदूवादी सिद्ध करने के लिए द्वारिकाधीश जैसे धाम के बाद जगह जगह गुजरात के मंदिरों में जाना शुरू कर दिया।उनकी इस हरकत के बाद सोशल मीडिया पर उनकी पुशत दर पुश्त जाती धर्म का हिसाब दिया जाने लगा। अगर औरों को छोड़ दे तो भी पिता राहुल गांधी पारसी फिरोज़ गांधी की औलाद थे तथा राहुल की  माँ सोनिया ईसाई परिवार से है।सोशल मीडिया से गुजराती हिन्दुओ की जागरूकता बढ़ी और उन्होंने पूरे गांधी नेहरू परिवार का इतिहास खोजना शुरू कर दिया। इसी बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी इन सबका इतिहास अपनी किताब द्वारा  खोलकर पूरे परिवार को हिन्दू विरोधी साबित कर दिया।

दूसरा कांड अहमद पटेल द्वारा आतंकियों को शरण देने का सामने आ आया। एक टीवी चैनल ने जैसे ही आतंकी कासिम के बारे में खुलासा किया पूरा  कांग्रेसी कुनबा अहमद पटेल को बचाने में ही लग गया।अहमद पटेल उस हॉस्पिटल के ट्रस्टी थे जहां कासिम बतौर टेक्नीशियन कार्यरत था और दो दिन पहले ही इस्तीफा देकर चला गया। कांग्रेस ने सफाई दी कि अहमद पटेल या उनके परिवार का इस हॉस्पिटल से कोई संबंध नही है।  अस्पताल के दूसरे ट्रस्टी ने अपने बयान में बता दिया कि अहमद पटेल ट्रस्टी थे और अभी भी अस्पताल के कमो में सहयोग देते है। जिस टीवी चैनल ने यह खुलासा किया था उसने कल ही वह वीडियो भी दिखाया था जिसमे अहमद पटेल 2016 को ओरांव मुखर्जी के साथ किसी कार्यक्रम में आगे आगे लगे थे। अभी भी अहमद पटेल की एक बहु उसी हॉस्पिटल से जुड़ी है और उसे हॉस्पिटल का एक पूरा फ्लोर दिया गया है।

कांग्रेस पार्टी के नेताओ द्वारा पाकिस्तान और आतंकियों से मदद लेने का खुलासा पहले भी हो चुका है। अब ATS अहमद पटेल को गिरफ्तार करके उंसके इसकी आगे की जानकारी हासिल कर पूरे कांड से परदा उठाएगी।

रही सही कसर अब  नए नए बने सहयोगी हार्दिक पटेल ने पूरी कर दी। अब राहुल के पास गुजरात छोड़कर भागने के अलावा कोई रास्ता दिखाई नही देता है। गुपचुप तरीके से राहुल गांधी और हार्दिक पटेल के बीच हुई बातचीत आखिर किसी नतीजे पर कामयाब नही हो सकी। हार्दिक पटेल द्वारा कांग्रेस को दिए गए अल्टीमेटम से यह स्थिति  जनता के सामने आ गई है।

CCTV कैमरे में कैद हुई फोटो से दोनों के  मिलन का खुलासा हो चुका था। राहुल से मिलने के बाद हार्दिक पटेल दो बड़े काले बैग लेकर आते दिखे थे।सोशल मीडिया पर भी राहुल से हुई लेनदेन की बातों का उल्लेख किया गया जिससे समूचा पाटीदार वर्ग, हार्दिक के विरुद्ध हो रहा था। अपनी साख बचाने के  लिए तथा पाटीदार समाज को अपने से दूर न जाने देने के लिए हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को अल्टीमेटम देने की चाल चली है।

निश्चित रूप से हार्दीक पटेल की चाल काग्रेस के लिए ‘भई गति साँप छछून्दर जैसी’ हो गई है। कांग्रेस रूपी सांप ने हार्दिक का हाथ थामकर “अपने मुँह में पाटीदारो की आरक्षण रूपी छछून्दर को पकड़ लिया है।”

वर्तमान में 49.5% आरक्षण पहले से ही विधमान है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 50% से अधिक आरक्षण दिया ही नही जा सकता है। उधर पिछड़े वर्ग के नेता अल्पेश पहले ही  यह अल्टीमेटम दे चुके है कि किसी भी कीमत पर पिछड़े वर्ग के निर्धारित कोटे में पाटीदारों को समायोजित नही किया जायेगा। अतः ऐसी स्थिति में विधिवत रूप से पाटीदारों को .5% से अधिक आरक्षण किसी भी परिस्थिति में प्रदान नही किया जा सकता। अतः पाटीदारो की मांग पूरी करने में कांग्रेस भी असमर्थ ही रहेंगी। ऐसे में अब राहुल गांधी के पास हार्दिक पटेल को छोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नही बचता है।पाटीदारों के अलग होने से राहुल गांधी या कांग्रेस को वैसे भी कोई नुकसान नही होगा क्योंकि पाटीदारों के वोट कांग्रेस को मिलने वाले नही है।

पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने पटेल आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस को अल्टीमेटम तो  दिया है। हार्दिक पटेल ने तीन नवंबर तक की समय सीमा देते हुए ट्विटर पर लिखा है – तीन नवंबर तक कांग्रेस पाटीदार को संवैधानिक आरक्षण कैसे देगी, उस मुद्दे पर अपना स्टैंड क्लीयर कर दे नहीं तो अमित शाह जैसा मामला सूरत में होगा। हार्दिक पटेल ने यह अल्टीमेटम ऐसे समय में दिया है जब उनके व कांग्रेस के बीच गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर समझौता होने की अटकलें लगायी जा रही हैं। पिछले दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अहमदाबाद दौरे के दौरान हार्दिक पटेल की उनसे गुप्त मुलाकात किये जाने की बात भी मीडिया में आयी।हार्दिक पटेल पहले भी सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि पाटीदारों को जो पार्टी आरक्षण देगी, उनको हम समर्थन दे सकते हैं।

उन्होंने कुछ कदम खुद द्वारा और कुछ कदम कांग्रेस द्वारा बढ़ाने की सार्वजनिक पेशकश पहले ही की है। पाटीदार गुजरात में प्रभावी जातीय मतदाता वर्ग है और ऐसा समझा जाता है कि उसके एक बड़े तबके का समर्थन हार्दिक पटेल को प्राप्त है।  गुजरात में हाल के दिनों में तीन अलग-अलग जातीय अांदोलन हुए, जिसमें पाटीदारों के नेता के रूप में हार्दिक पटेल, पिछड़ों के युवा नेता के रूप में अल्पेश ठाकोर और दलितों के युवा नेता के रूप में जिग्नेश मवानी उभरे।  इसमें अल्पेश ठाकोर जो पहले से ही कांग्रेसी थे और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके थे, अब कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम में हार्दिक पटेल के समर्थकों ने जमकर हंगामा किया था। समझा जाता है कि हार्दिक पटेल ने यह चेतावनी कांग्रेस को उसी संदर्भ में दी है। कांग्रेस हार्दिक पटेल का सहयोग तो चाहती है, लेकिन वह दूसरे वर्गों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती। पाटीदार समाज के लिए कुछ बड़ा वादा करने से बच रही है। वहीं, हार्दिक पटेल भी कांग्रेस के साथ रिश्तों पर अपना हर कदम संभाल-संभाल कर बढ़ाते रहे हैं।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button