काशी में हुए बवाल पर बड़ी कार्रवाई, कांग्रेस MLA पर लगा रासुका

ajayraiतहलका एक्सप्रेस
वाराणसी। प्रतिकार यात्रा के दौरान गोदौलिया में हुए बवाल को भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कांग्रेस विधायक अजय राय की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अजय राय पर रासुका (राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आपको बता दें, इनपर पहले से ही आधा दर्जन से ज्‍यादा धाराओं में मुकदमा दर्ज है। खास बात यह है कि फतेहगढ़ जेल में बंद कांग्रेस विधायक के मामले में गुरुवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन एक दिन पहले ही इनपर रासुका लगा दी गई। दूसरी ओर, इससे गुस्‍साए कांग्रेस के नेता प्रदेश सरकार के वि‍रुध आंदोलन छेड़नी की तैयारी में है।
बुधवार को एसएसपी आकाश कुलहरि ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि अजय राय पर रासुका के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके अलावा चार अन्य पर भी रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है। हालांकि, उन्‍होंने अन्य चार नामों का अभी खुलासा नहीं किया।
अन्‍याय प्रतिकार यात्रा के बाद हुए थे गिरफ्तार
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेसियों का आंदोलन बुधवार को भी जारी रहा। रासुका की कार्रवाई से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। बताते चलें, पांच अक्टूबर को अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान काशी में आगजनी और तोड़-फोड़ की गई थी। इसके अगले दिन कांग्रेस विधायक समेत 51 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया था।
इनपर भी लग चुकी रासुका
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो विधायकों संगीत सोम और सुरेश राणा पर मुजफ्फरनगर हिंसा मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाई गई थी, जिसे बाद में हटा लिया गया था।
क्या है रासुका
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को गिरफ्तारी का आदेश देता है। अगर सरकार को लगता कि कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है, तो वह उसे गिरफ्तार करने की शक्ति दे सकती है। सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ा कर रहा है, तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है। साथ ही, अगर उसे लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है, तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है। इस कानून के तहत जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है। इस कानून का इस्तेमाल डीएम, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।
varanasi-bawal
अभी दादरी में बीफ की अफवाह में मारे गए अखलाक का मामला थम भी नहीं पाया है कि अब कांग्रेस ने बनारस में हुए बवाल की जांच करने के लिए खुद की एक कमि‍टी बनाकर जांच करवाने का निर्णय लिया है। कांग्रेस ने ये भी कहा है कि इस कमेटी के रिपोर्ट सौंपने के बाद इस मामले को लेकर संघर्ष किया जाएगा, क्योंकि इसमें राज्य सरकार बीजेपी के नेताओं को छोड़कर कांग्रेस के नेताओं को झूठा फंसा दिया है।
कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल अहमद नकवी ने बताया कि बनारस में संतों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में सतों ने जो अन्याय प्रतिकार यात्रा निकाली थी, उसमें उपद्रवी तत्वों ने हिंसक वारदात को अंजाम दिया था। लेकि‍न कांग्रेस नेता अजय राय और दूसरे कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई। ऐसे में कांग्रेस ने खुद इस मामले की जांच कराने के लिए एक फैक्ट फाइडिंग कमेटी बनाई है, जो 16 अक्टूबर 2015 को बनारस पहुंचेगी। इस कमि‍टी में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन शामि‍ल हैं। कमि‍टी के ये सदस्‍य वाराणसी पहुंचकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से मिलेंगे और उनसे मिलकर पूरी रिपोर्ट यूपी कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री को देंगे। इसके बाद इस मामले में की गई गिरफ्तारी के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
पुलि‍स ने अपनी अक्षमता छि‍पाने के लि‍ए की यह कार्रवाई
हिलाल अहमद ने बताया कि संतों की अन्याय प्रतिकार यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी प्रशासन को थी, लेकि‍न पुलि‍स ने अपनी अक्षमता को छिपाने की कोशि‍श की। पुलिस ने जिन 105 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कि‍ए हैं उसमें कांग्रेस विधायक अजय राय, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, युवा कांग्रेस के कोआर्डिनेटर राघवेंद्र चौबे जैसे लोग हैं। जबकि‍ ये लोग शांति व्यवस्था बनाने में लगे थे। वहीं, बीजेपी के विधायकों, विश्व हिंदू परिषद के नेताओं और युवा हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ किसी तरह की कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं, कांग्रेस विधायक अजय राय को गिरफ्तार कर जेल भेज कर दिया गया है।
भ्रष्‍टाचार में लि‍प्‍त है सपा सरकार
उन्होंने कहा कि प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार शुरू से ही भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के चलते अयोग्य और भ्रष्ट अधिकारियों की नियुक्ति महत्वपूर्ण और उच्च पदों पर करती आ रही है। यही वजह है कारण न्यायालय को बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश सरकार को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी और अनिल यादव को अपने पद से हटना पड़ा। किसी भी चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार के लिए यह बेहद शर्मनाक है। दूसरी ओर, पंचायत चुनाव में भी प्रदेश सरकार जमकर बाहुबल और धनबल का इस्‍तेमाल कर रही है।
 

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