केंद्र से दिल्ली पुलिस लेने को कोर्ट जाएगी केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली पुलिस को अपने अधीन करने के लिए कोर्ट से गुहार लगाएंगे। केजरीवाल सरकार का आरोप है कि दिल्ली पुलिस नागरिकों की रक्षा करने में बुरी तरह से असफल साबित हुई है।
डेली मेल की एक खबर में दिल्ली सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जा सकती है। अगर कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई स्वीकार कर ली तो ऐसा पहली बार होगा कि दिल्ली पुलिस पर अधिकार की लड़ाई कोर्ट में लड़ी जाएगी। दिल्ली में महिलाओं या बच्चों के खिलाफ बड़े अपराध सामने आने पर केजरीवाल सरकार यह मांग उठाती रहती है।
ताजा मांग के समर्थन में दिल्ली सरकार एक एनजीए के सर्वे को भी पेश कर रही है। ‘सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज’ के सर्वे में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस में दिल्ली सरकार के दूसरे विभागों के मुकाबले ज्यादा भ्रष्टाचार है। दिल्ली सरकार कोर्ट में तर्क देगी, ‘जब दिल्ली में निर्वाचित सरकार है तो दिल्ली पुलिस को किसके प्रति जवाबदेह होना चाहिए, पुलिस और कानून व्यवस्था में सुधार और दूसरे जरूरी कदम उठाने के लिए संख्याबल और फंड की कमी क्यों आड़े आनी चाहिए और इसके लिए नागरिकों को कष्ट क्यों सहना चाहिए?’
सरकार के एक सूत्र का कहना था कि वह इस पर कोर्ट की राय लेने जा रहे हैं। सरकार यह कदम गृह मंत्रालय के हाई कोर्ट में दिए एक बयान के बाद उठाने जा रही है। गृह मंत्रालय ने आपराधिक जांच और कानून व्यवस्था का काम अलग-अलग करने पर फंड की कमी का हवाला दिया था। मंत्रालय ने कहा था कि इन दोनों विंग को अलग करने के लिए 16 हजार पुलिसकर्मियों और 475 करोड़ के अतिरिक्त खर्च की जरूरत होगी, जो वह नहीं उठा सकता।
पुलिस को अपने अधीन करने के लिए गृह मंत्रालय को कई असफल प्रजेंटेंशन देने वाली केजरीवाल सरकार ने इसी के बाद कोर्ट जाने का मन बनाया है। दिल्ली सरकार जानती है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कई बार दिल्ली पुलिस की आपराधिक जांच और कानून-व्यवस्था को अलग-अलग करने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था, ‘अगर दोनों विंग अलग कर दिए जाते हैं, कई अपराधी भाग नहीं पाएंगे और कानून-व्यवस्था सुधरेगी। एक पुलिस टीम स्पॉट पर जाकर कानून और व्यवस्था संभाल सकती है और दूसरी टीम बिना समय बर्बाद किए जांच शुरू कर सकती है।’
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