क्या केजरीवाल का दिमाग फिर से ‘बेकाबू’ हो रहा है? खुद को दिल्ली का मालिक समझने लगे

क्या अरविंद केजरीवाल की दिमागी ‘समस्या’ के लक्षण एक बार फिर से सामने आ रहे हैं? सोशल मीडिया और बातचीत में कई लोग यह सवाल पूछ रहे हैं। 2 करोड़ की रिश्वतखोरी को लेकर अपने ही पूर्व करीबी सहयोगी कपिल मिश्रा के खुलासे के बाद से अरविंद केजरीवाल थोड़ा कम बोल रहे थे, इस कारण उन्हें लेकर विवाद भी कम हो गए थे। इसके अलावा एमसीडी चुनावों में करारी हार से भी उन पर काफी गहरा असर पड़ा था। लेकिन हाल ही में दिल्ली की बवाना सीट पर उपचुनाव में मिली जीत से उनका दिमागी पारा एक बार फिर से सातवें आसमान पर है। पिछले दिनों में उनके कई बयानों और हरकतों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं। दिल्ली विधानसभा में खड़े होकर खुद को दिल्ली का मालिक कहने और अब दिल्ली मेट्रो को टेकओवर करने को लेकर उनके बयानों को देखते हुए यह शक जताया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब वो हाल ही में विपश्यना करके लौटे हैं।

दिल्ली मेट्रो के बढ़ते घाटे के कारण उसके किराये बढ़ाने को लेकर खींचतान चल रही है। किराया कमेटी की बैठक में केजरीवाल के ही चीफ सेक्रेटरी ने किराया बढ़ाने का समर्थन किया था, लेकिन बाद में राजनीति की रोटी सेंकने के लिए उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री हरदीप पुरी को लिखी चिट्ठी में केजरीवाल ने यहां तक कह डाला कि अगर किराया न बढ़ाने पर दिल्ली मेट्रो को 3000 करोड़ सालाना का नुकसान होगा तो कोई बात नहीं दिल्ली सरकार इसका टेकओवर करने को तैयार है। केजरीवाल ऐसी ही बातें बिजली कंपनियों के लिए पहले कह चुके हैं, लेकिन घंटों कटौती के बावजूद कभी टेकओवर की हिम्मत नहीं दिखाई। दिल्ली सरकार पर शहर में डीटीसी की बसें चलाने की जिम्मेदारी है, उसमें उनकी सरकार बुरी तरह फेल हो चुकी है। डीटीसी बसें रोज करीब 2 से 3 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही हैं। ज्यादातर बसें खटारा हैं, जबकि नई बसें खरीदने का काम अब तक नहीं हुआ है। आप समझ सकते हैं कि केजरीवाल जब दिल्ली मेट्रो चलाएंगे तो उसका क्या होगा।

केजरीवाल का दिमाग खराब हो गया है इसका बड़ा लक्षण तभी दिख गया था, जब उन्होंने विधानसभा के अंदर भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने शाहरुख खान स्टाइल में डायलॉग बोले और फिर यहां तक कह डाला कि ‘मैं दिल्ली का मालिक हूं’। जबकि इस बारे में कोर्ट का आदेश आ चुका है कि दिल्ली में सभी सरकारी और प्रशासनिक फैसलों में उपराज्यपाल ही सर्वोच्च अधिकारी है। राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया। यहां पानी, सड़क, परिवहन जैसे कुछ महकों की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी गई है, लेकिन केजरीवाल अब तक उन मोर्चों पर भी कुछ खास कामयाबी हासिल नहीं कर सके हैं। देखिए केजरीवाल का वो बयान जब खुद को आम आदमी और जनता का नौकर बताने वाले केजरीवाल ने खुद को दिल्ली का मालिक घोषित कर दिया था।

नीचे आप सोशल मीडिया की उन प्रतिक्रियाओं को देख सकते हैं जिनमें लोगों ने केजरीवाल की बिगड़ती दिमागी हालत को लेकर शक जताया है।

 

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