क्या है दाल की आसमान छूती कीमतों का कारण?

नई दिल्ली। भारत के फूड सेक्टर का गणित ऐसा है कि उत्पादन में अगर 12 फीसदी की गिरावट होती है तो दाम में 100 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है। 2014-15 में दालों के उत्पादन में भारत में 12 फीसदी गिरावट आई जिसका नतीजा यह हुआ कि दालों की कीमत में 100 फीसदी की भारी उछाल आ गई। सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए भरसक प्रयास कर रही है लेकिन दाल की कीमत को अब तक काबू नहीं किया जा सका है।
पिछले कुछ सालों में दाल की कीमत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई थी लेकिन 2014-15 में दाल के उत्पाद में 24 लाख मीट्रिक टन या पिछले साल की तुलना में 12 फीसदी की भारी गिरावट के कारण दाल की कीमतें आसमान छूने लगीं। दाल के उत्पादन में गिरावट के कई कारण हैं जिनमें बेमौसम बरसात, कीट का लगना, किसानों को ऑफर किया गया लाभ रहित मूल्य रहा है हालांकि आयात पर से ड्यूटी हटा दी गई है।
दाल के उत्पादन में आई भारी गिरावट को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारियों ने फायदा कमाने के एक सुनहरे अवसर के रूप में इस्तेमाल किया। खबरें आ रही हैं कि व्यापारी बंदरगाहों पर गोदामों में दाल को भंडारित करके रख रहे हैं और कमी होने का इंतजार करते हैं ताकि मनमाना कीमत वसूल सकें। भारत में दाल की बढ़ती हुई खपत को देखते हुए कनाडा, म्यांमार और ऑस्ट्रेलिया के निर्यातकों ने दाल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर दी है।
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