क्यों अहमद पटेल को बख्शने के मूड में नहीं है सीबीआई, अब एक नई FIR के जरिये हमला

नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव से शुरू हुई अहमद पटेल और अमित शाह के बीच की लड़ाई फिलहाल ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है। सूत्रों की माने गुजरात में अमित शाह के बेटे को लेकर मीडिया में हैडलाइन बनाने के पीछे अहमद पटेल के होने की खबर खुद कांग्रेसी नेता ही सामने लाये थे। इस कड़ी में कुछ दिन पहले गुजरात के सीएम विजय रुपानी ने यह कहकर अहमद पटेल को घेरने की कोशिश की कि गुजरात एटीएस ने जिन दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है, उनमें से एक अहमद पटेल के अस्पताल में काम करता था। अब यह लड़ाई एक नए दौर में प्रवेश करने जा रही है। सीबीआई ने एक एफआईआर दर्ज कर पटेल पर शिकंजा कसने की तैयारी कर दी है।

सीबीआई की एफआईआर में अहमद पटेल के दामाद का नाम 

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने स्टर्लिंग बायोटेक, सैंडेसारा ग्रुप और इसके निदेशकों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की है। साथ ही इसमें आंध्रा बैंक और इसके निदेशकों का नाम दर्ज है। इन पर आरोप है कि इन्होने लोन में धोखाधड़ी करके बैंक कंसोर्टियम को 5383 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया। इसी साल अगस्त में सीबीआई ने अपनी पहली एफआईआर में कंपनी के मालिकों को आयकर अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी।

सीबीआई ने इस एफआईआर में अहमद पटेल के दामाद इरफ़ान सिद्दीकी का नाम भी शामिल किया था। इन पर आरोप थे इन्होने स्टर्लिंग बायोटेक और सैंडेसारा ग्रुप ऑफ कंपनियों से छापे मिली धनराशि के बदले इनकम टैक्स अधिकारियों को रिश्वत दी थी।

दूसरी एफआईआर में सीबीआई की दिल्ली बैंक सिक्योरिटीज और फ्रॉड सेल ने गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक और इसके प्रमोटर चेतन जयंतीलाल संदसेरा, दीप्ति चेतन सैंडेसारा, राजभुषण ओमप्रकाश दीक्षित, नितिन जयंतीलाल संदसेरा और विलास दत्तात्रेय जोशी का दर्ज किया था। प्राथमिकी में कंपनी के चार्टर्ड एकाउंटेंट हेमंत हाथी और आंध्र बैंक के पूर्व निदेशक अनूप गर्ग का नाम भी रखा गया है।

11 पन्नो की एफआईआर में कहा गया है कि कैसे गुजरात के स्टर्लिंग बायोटेक ने आंध्र बैंक के नेतृत्व में बैंकिंग कंसोर्टियम से कर्ज लिया था। 2008-2010 की अवधि के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के कार्यकाल के दौरान 5000 करोड़ रूपए से अधिक का लोन कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध तरीके से लिया गया। 2010 में 5700 करोड़ से ज्यादा का लोन स्टर्लिंग बायोटेक और उनकी सहयोगी  कंपनियों द्वारा अन्य बैंकों से लिया गया।

ये कंपनियां तेल, ऊर्जा, बंदरगाह, एसईजेड और कोयला खनन जैसे कई क्षेत्रों में शामिल थीं। गुजरात स्थित इस कंपनी देशभर में कार्यालय हैं और नाइजीरिया, संयुक्त अरब अमीरात और अमरीका सहित कई देशों में ये चलती हैं।

साल 2011 में आयकर विभाग ने कर चोरी और 1 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्डिंग के आरोप  कंपनी पर छापेमारी की लेकिन इनकम टैक्स छापे के कुछ घंटों के भीतर दिल्ली के राजनीतिक  दबाव के कारण इस छापे को महत्वहीन कर दिया गया।

डायरी में कई नाम उजागर हुए 

छापे के दौरान आयकर अधिकारियों ने एक डायरी जब्त की। डायरी में कई आयकर अधिकारियों पुलिस अधिकारियों और कई राजनेताओं के नाम शामिल थे। उस वक़्त के तत्कालीन सूरत पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना का नाम भी इस डायरी में मिला। जिनको महीने के आधार पर 40,518 रूपये दिए जाते थे।

डायरी में राकेश अस्थाना का भी नाम 

इसी को देखते हुए हाल ही में सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा ने अस्थाना को विशेष निदेशक के रूप में पदोन्नत करने पर आपत्ति जताई क्योंकि उनका नाम 2011 में डायरी पाया गया था। साथ ही विवादित स्टर्लिंग बायोटेक ग्रुप ऑफ कम्पनियों से लेकर कई अन्य अधिकारियों के नाम इसमें शामिल थे। सीबीआई निदेशक की इस आपत्ति के बावजूद केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) चयन पैनल ने अस्थाना की पदोन्नति की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि इस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी आपत्ति जतायी थी।

 

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