खत्म होगी हज सब्सिडी, उठी हज कमेटी की आजादी की मांग!

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने नई हज नीति पेश की है. ये हज नीति 2018 में लागू हो जाएगी जो 2022 तक चलेगी. सरकार की ये नई नीति सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बाद तैयार की गई है, जिसमें हज सब्सिडी को खत्म करने की बात की गई थी और कहा था कि सब्सिडी का पैसा मुस्लिमों के विकास में खर्च किया जाए. ऐसे में अब ये माना जा रहा है कि हज यात्रा पर मिलने वाली सब्सिडी पूरे तरीके से खत्म हो जाएगी.
हालांकि, कमाल फारूकी ने खुद हज पर सब्सिडी का विरोध किया. उन्होंने सब्सिडी खत्म करने की बात कहते हुए हज कमेटी को स्वतंत्रता देने की मांग रखी. फारूकी ने कहा कि हज कमेटी के पास जो भी संपत्ति है, वो हज यात्रियों के पैसे से जमा की गई है. ऐसे में सरकार को ‘हज कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’ बनाकर उसे आजाद कर देना चाहिए.
हवाई यात्रा पर सब्सिडी
दरअसल, हज यात्रियों को मिलने वाली सब्सिडी का सबसे बड़ा हिस्सा हवाई यात्रा पर खर्च किया जाता है. भारत सरकार का सिविल एविएशन मंत्रालय हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए ये सब्सिडी मुहैया कराता है. ये पैसा हज यात्रियों के बजाय एयर इंडिया को सीधे दिया जाता है.
गौर करने वाली बात ये भी है कि हज यात्रियों के नाम पर दी जाने वाली ये छूट सिर्फ उन्हीं हज यात्रियों के लिए उपलब्ध कराई जाती है, जो हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCoI) में रजिस्टर्ड होकर हज के लिए सऊदी जाते हैं. जबकि प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स (PTOs) के जरिए जाने वाले हज यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिलता है.
नई नीति के तहत हज कमेटी के जरिए 70 प्रतिशत यात्री और 30 प्रतिशत यात्री प्राइवेट ऑपरेटर्स के माध्यम से हज यात्रा पर जा सकेंगे.
इतना खर्च करती है सरकार
एक आंकड़े के मुताबिक, 2012 में सब्सिडी पर 836 करोड़ रुपया खर्च किया गया, जबकि 2013 में सब्सिडी के तौर पर 680 करोड़ दिया गया. 2014 में ये और कम होकर 533 करोड़ पहुंच गया. कमाल फारूकी के मुताबिक, मौजूदा साल में सब्सिडी के लिए प्रस्तावित बजट में से केवल 200 करोड़ का फंड ही दिया गया है.
दरअसल, 2010 में विदेश मंत्रालय ने एक प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत हर साल सब्सिडी में 10 प्रतिशत की घटोतरी की बात की गई थी. जिसके बाद से लगातार हज सब्सिडी में कटौती की जा रही है.
हज पर जाने वाले यात्री हज कमेटी ऑफ इंडिया में आवेदन करते हैं. इसके लिए उन्हें आवेदन की फीस भी जमा करनी होती है. हज कमेटी अपने कोटे के तहज जाने वाले यात्रियों की लिस्ट सरकार को सौंपती है, जो एयरलाइंस के साथ साझा की जाती है. एक हज यात्री के लिए हज कमेटी करीब 25 हजार रुपये खर्च करती है. जबकि प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स की मदद से जाने वाले एक हज यात्री का हवाई यात्रा खर्च इससे कहीं ज्यादा आता है.
इस साल प्राइवेट ऑपरेटर्स के जरिए हज पर जाने वाले एक यात्री का खर्च करीब 70 हजार रुपये आया है. जबकि हज कमेटी की तरफ से जाने वाले यात्री को यही खर्च 25 हजार रुपये पड़ा है. ये दोनों राशि सऊदी अरब जाने वाले आम यात्री से भी ज्यादा होती है. हालांकि, अलग-अलग स्थानों से ये खर्च भी अलग होता है.
समुद्री जहाज से यात्रा पर विचार
नई नीति के तहत हज यात्रा को समुद्री जहाज के जरिए पूरा करने की बात भी सामने आई है. केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कम खर्च का हवाला देते हुए इस पर विचार की संभावना जताई है. हालांकि, कमाल फारूकी ने उनके इस बयान को राजनीतिक करार दिया है. उन्होंने कहा है कि ये बहुत रिस्की है और विदेश मंत्रालय भी सुरक्षा की दृष्टि से इसके लिए मना कर चुका है.
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