खाद्य सुरक्षा कानून: अक्टूबर तक समय, तैयारी अब भी अधूरी

तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, लखनऊ। यूपी में खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने की तैयारियां दो साल बाद भी आधी-अधूरी ही हैं। केंद्र से चौथी बार मिला समय भी अक्टूबर 2015 में पूरा हो रहा है, लेकिन अभी तक न तो लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप मिल सका है और न ही विभाग में पहले से खाली पड़े पदों को भरने की दिशा में कोई जमीनी कदम उठाए गए हैं। खाद्य सुरक्षा कानून को चलाने की जिम्मेदारी जिस खाद्य एवं रसद विभाग पर है, वह पहले से कर्मचारियों की कमी से त्रस्त है। विभाग में जिला आपूर्ति अधिकारी से लेकर समूह घ तक के कुल 8724 पद स्वीकृत हैं। इनमें से केवल चार हजार पदों पर अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं। हालांकि, उच्चाधिकारियों का कहना है कि विभागीय प्रमोशन के बाद अधिकारियों की कमी तो काफी हद तक दूर हुई है, लेकिन कर्मचारियों की कमी बरकरार है।
राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया जरूर शुरू कर दी है, लेकिन वह अभी तक जमीन पर नहीं उतर सकी। शासन ने इस कानून के तहत लाभार्थियों के मानक तो तय कर दिए हैं, लेकिन लाभार्थियों की फाइनल सूची को अंतिम रूप अभी भी नहीं मिला है। सूची फाइनल न होने से अभी उनके राशन कार्डों की छपाई भी नहीं करवाई गई है। यही नहीं सरकारी राशन की उचित मूल्य की नई दुकानों (जहां से लाभार्थियों को राशन मिलना है) की चयन की प्रक्रिया भी अभी तक अधूरी ही है। यूपीए सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून पांच जुलाई 2013 को लागू किया था। साथ ही इसे लागू करने के लिए राज्य सरकारों को पांच जुलाई 2014 तक का समय दिया था। लेकिन, यूपी सरकार एक साल में भी इसे लागू करने की स्थिति में नहीं थी। हालांकि, इसी बीच केन्द्र में एनडीए की सरकार बन गई और उसने इस कानून को लागू करने के लिए पहले राज्यों को तीन महीने का और फिर छह महीने का समय और दिया। अप्रैल 2015 में यह समय भी पूरा हो गया, लेकिन यूपी सरकार की तैयारियां जमीनी रूप नहीं ले सकीं। आखिरकार यूपी सरकार ने केंद्र को पत्र लिख कर और समय मांगा, तो केंद्र ने यूपी सरकार को छह महीने का समय और दिया था, जो अक्टूबर में पूरा हो रहा है।
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