खुलासा : गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में सभी बच्चों की मौत का कारण एन्सेफलाइटिस नहीं

लखनऊ। पिछले पांच दिनों में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों की अधिकांश मौतों का कारण एन्सेफलाइटिस नहीं हैं, यह जानकारी खुद अस्पताल के मेडिकल रिकॉर्ड से सामने आयी है.

गोरखपुर के इस सरकारी अस्पताल में सिर्फ पांच दिनों में 70 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है. मौत के कारणों पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. राज्य सरकार का मानना है कि राज्य के इस हिस्से में एन्सेफलाइटिस लंबे समय से बच्चों की बढ़ती मृत्यु दर का कारण रहा है।

गौरतलब है कि सरकार का यह भी कहना था कि अस्पताल में बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नही हुई थी. मिंट की रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल से मिले डाटा पर यकीन करें तो 10 और 11 अगस्त को हुई 30 बच्चो में से केवल पांच की ही मौत तीव्र एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम या एईएस के कारण हुई थी. जबकि एक की यकृत इन्सफालोपैथी के कारण मौत हुई थी.

रिपोर्ट की माने तो उनमें से कई निमोनिया, सेप्सिस और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों से पीड़ित थे. 12 अगस्त में 13 बच्चों की मौत हुई थी जिनमें से केवल एक की मौत एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम के कारण हुई थी।

अस्पताल की सूची के अनुसार मरने वाले ज्यादातर नवजात शिशु थे. जिन्हें स्पष्ट रूप से विशेषज्ञ आपातकालीन देखभाल सेवाओं की जरूरत थी। ऐसे मामले बहुत गंभीर होते हैं और उनको वेंटिलेशन की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता है. अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि बाल चिकित्सा और गहन देखभाल इकाइयों में भर्ती रोगियों के इलाज में बहुत कमियाँ पायी गई.

2017 में (जुलाई तक), बाल रोग विभाग में भर्ती बच्चों की कुल संख्या 3,878 थी, जिसमें से 596 मरीज़ों की मृत्यु हो गई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 (2015-16) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 78 (प्रति 1000 जीवित जन्मों में) देश में शिशु मृत्यु दर सबसे खराब है। जबकि राष्ट्रीय औसत 41 है.

 

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