खुलासा: सीएम शिवराज ने ही लटकाई व्यापम की जांच

shivraj12तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली/भोपाल। व्यापम घोटाले पर विवाद बढ़ता जा रहा है, साथ ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घिरते चले जा रहे हैं। अब आम आदमी पार्टी के एक नेता ने कुछ दस्तावेजों को आधार बनाकर शिवराज पर निशाना साधा है।
‘आप’ नेता पारस सकलेचा ने आरोप लगाया, ‘सीएम शिवराज हालांकि व्यापम घोटाले में खुद को ‘विसल ब्लोअर’ होने का दावा करते आ रहे हैं। उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक, पिछले 8 साल से विधानसभा में इस मुद्दे पर तीन बार सवाल उठाए गए और सीएम को घोटाले से संबंधित 17 पत्र भी लिखे गए लेकिन उन्होंने ही मामले की जांच को लटकाए रखा।’ व्यापम घोटाले में लगातार 35 मौतें हो चुकी हैं और विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने ही मामले की सीबीआई जांच की अनुमति देने में जानबूझ कर देरी की। 2009 में पारस सकलेचा जो तब एक निर्दलीय विधायक थे (वर्तमान में आप पार्टी के सदस्य हैं) ने भी विधान सभा में व्यापम में अनियमिताओं की शिकायत के बारे में पूछताछ की थी लेकिन सरकार का जवाब आया था, ‘हम सूचना इकट्ठा कर रहे है।’ आरोपों की जांच करने के लिए सीएम ने एक तब एक कमिटी गठित कर दी थी। मार्च 2011 में एक बार फिर से व्यापम पर सवाल खड़े किए गए, इस बार एक अन्य विधायक ने 2007 से 2010 के बीच डेंटल और मेडिकल कॉलेज में अडमिशन में गड़बड़ियों के बारे में जानना चाहा था लेकिन शिवराज ने दिए जवाब में कहा कि अभी तक उन्हें ऐसे किसी उम्मीदवार के बारे में पता नहीं चला है। नवम्बर 2011 में विपक्ष ने विधान सभा में फिर से यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया तो सीएम ने बताया कि 114 फर्जी अडमिशन से आए उम्मीदवारों की पहचान हो गई है और मामले की जांच की जा रही है लेकिन उस वक्त भी कोई खास कार्रवाई नहीं की गई। आप के राज्य प्रभारी और सोशल ऐक्टिविस्ट सकलेचा ने कहा, ‘मेडिकल टेस्ट में फर्जीवाड़े की और किसी घोटाले की आशंका व्यक्त करने वाले ऐसे 17 पत्र मुख्यमंत्री को मिले थे। शिवराज ने त्वरित जांच का आश्वासन देते हुए 30 दिन के अन्दर रिपोर्ट का भरोसा दिलाया था लेकिन मेडिकल कॉलेजों ने अपनी रिपोर्ट लाने में 6 महीने का समय लगा दिया और अपनी जांच में केवल स्टूडेंट्स को ही शामिल किया। जब रह -रहकर लगातार इस पर सवाल खड़े किए जाते रहे तो मुख्यमंत्री ने या तो कमिटी गठित कर दी या यह कह कर टाल दिया कि जांच की जा रही है लेकिन कभी भी इस मामले की कोई कार्रवाई नहीं की गई।’ आखिर में जाकर सुप्रीम कोर्ट ने जब मामले में सीबीआई जांच के लिए आदेश दिया तो सीएम ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने ही इस मामले के विसलब्लोअर की भूमिका निभाई थी और उन्होंने ही एसटीएफ जांच के आदेश दिए थे लेकिन विपक्ष ने दस्तावेजों के आधार पर शिवराज पर मामले की सीबीआई जांच को लटकाने का आरोप लगाया है। वहीं सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने बताया, ‘व्यापम से संबंधित सभी सवालों का जवाब दिया गया है, मुझे नहीं याद कि हमने व्यापम से संबंधित पूछे गए किसी सवाल का जवाब न दिया हो।’

 

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