खेलो में आरक्षण संबंधी अठावले का बयान बेतुका,श्रेष्ठता के आधार पर होता है चयन

लखनऊ। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने अपने पद और मर्यादा के विरुद्ध क्रिकेट टीम में  आरक्षण की मांग करके यह साबित कर दिया है कि वे भी विरोधी दलो की भांति देश हित की बात नही सोचते।अठावले का यह बयान खेल भावना के विरुद्ध है।

अठावले को ऐसा बयान देने से पूर्व यह  मालूम कर लेना चाहिए था कि भारतीय क्रिकेट टीम हो या किसी अन्य खेल की टीम का चयन  खिलाड़ियों की श्रेष्ठता और उनके विगत परफार्मेन्स के आधार पर किया जाता है न कि किसी धर्म,जाती या रंग के आधार पर। यदि इतनी जानकारी होती तो निश्चित है कि ऐसा बयान न आता जिससे उनकी सरकार की छवि खराब होती। खेल में वोट की राजनीति ठीक नही।

भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां किसी भी टीम के चयन में धर्म,जाती,रंग या क्षेत्र का कोई भेदभाव नही रखा जाता है। यदि किसी जाति या धर्म का कोई खिलाड़ी अपनी उपलब्धियों और श्रेठता के आधार उपयुक्त होता है तभी चयन समिति उसके चयन पर विचार करती है। सेवा में आरक्षण की बात भी तब पूरी हो पाती है जब आरक्षित वर्ग को पढ़ाई से लेकर प्रतियोगिता तंक में छूट प्रदान की जाती है।सेवा में आरक्षण के कारण आज देश मे एक सामान्य अभ्यर्थी अच्छे अंक पाने के बावजूद आरक्षित जाति के अभ्यर्थियों से श्रेष्ठता सूची में पीछे रह जाता है। इस प्रकार की स्थिति यदि खेलो में भी शुरू हो गई तो देश की टीमो का क्या होगा – खुदा ही जाने।

केंद्रीय मंत्री के रूप में अठावले की यह  मांग  कि क्रिकेट और अन्य खेलों में दलितों और आदिवासियों को 25 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए – बड़ी ही हास्यास्पद और बेतुकी प्रतीत होती है। भाजपा सरकार में ऐसे मंत्री और सांसद भी मौजूद है जिन्होंने क्रिकेट जैसे खेल को बढ़ावा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अठावले को ऐसा बयान देने से पूर्व आपने इन सहयोगियो से विमर्श कर लेना चाहिए था।

अठावले को चाहिए कि क्रिकेट के साथ अन्य खेलों में भी आरक्षण लागू करने की बात  से पहले  दलित वर्ग की प्रतिभाओं को खोजने के लिए दलितों को विभिन्न खेलो में  विशेष प्रशिक्षण दिलवाये, उन्हें उनकी आंतरिक प्रतियोगिता आयोजित कराकर खुली प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर प्रदान कराये।जब उनकी जड़ किसी खेल में मजबूत होगी तो उन्हें भी उस खेल में खेलने का मौका जरूर  मिलेगा।

जहां तक  दक्षिण अफ्रीका में खेलों में आरक्षण  लागू होने का प्रश्न है वहा रंग को लेकर मतभेद शुरू से रहा है।ऐसी ही स्थिति में काफी समय तक दक्षिण अफ्रीका राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं से वंचित रहना पड़ा था। दक्षिण अफ्रीका में क्रिकेट में आरक्षण नीति की मंजूरी साल 2016 के अंत में सितंबर माह में मिली थी। दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड ने भविष्य में होने वाली सीरीज में टीम में कम से कम छह काले खिलाड़ियों को शामिल करेगा। जिससे 11 सदस्यों की इस राष्ट्रीय टीम में अधिकतम पांच गोरे खिलाड़ी और कम से कम छह काले खिलाड़ी होते हैं। दक्षिण अफ्रीका टीम का भविष्य विश्व स्तर पर आगे क्या होगा यह आने वाला वक्त ही बता पायेगा। आज भारतीय क्रिकेट टीम विश्व के शिखर पर है ऐसे में गलत बयान बाजी कर खिलाड़ियों का मनोबल किसी को भी  गिराने का हक़ नही होना चाहिए।

 

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