गुजरात की जीत बनाम GST की हार, अब कर्ज के सहारे मोदी सरकार

नई दिल्ली। देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को 1 जुलाई 2017 से लागू करने के फैसले पर संसद में सवाल उठाया जा चुका है. अब जीएसटी लागू हुए 6 महीने बीत चुके हैं. पांचवें और छठे महीने में केन्द्र सरकार की कमाई को तगड़ा झटका लगा है. आंकड़ों के मुताबिक इसकी प्रमुख वजह जीएसटी के तहत एकत्र टैक्स में आई गिरावट है. यानी केंद्र सरकार को जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स से आमदनी की जितनी उम्मीद थी वह उसपर खरी नहीं उतरी है.

क्या जीएसटी ने कमजोर की सरकार की कमाई?

जीएसटी लागू होने के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने में केंद्र सरकार की कमाई में कमी से गंभीर सवाल खड़े हुए हैं. बीते 6 महीनों के दौरान जीएसटी में हो रहे बदलाव से पैदा हुए इन सवालों पर रुख साफ होने के बाद ही सरकार को जीएसटी से कमाई का सटीक आंकलन करने का मौका मिलेगा. ये हैं प्रमुख सवाल:

1. क्या जीएसटी का मौजूदा स्वरूप केन्द्र सरकार की आमदनी में इजाफा करने के लिए पर्याप्त नहीं है?

2. क्या जीएसटी लागू करने से पहले टैक्स में इजाफे का दावा इस स्वरूप को आधार बनाकर किया गया था?

3. या फिर जीएसटी लागू होने के बाद इसके स्वरूप में किए गए भारी बदलावों ने ही केन्द्र सरकार की उस आस पर पानी फेर दिया जिससे वह अपनी कमाई में इजाफा दर्ज करने जा रही थी?

4. क्या गुजरात चुनावों की जीत के लिए जरूरी था नुकसान वाला जीएसटी?

5. क्या देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधार को कमजोर कर उठाया गया राजनीतिक लाभ?

GST से घटी कमाई, कर्ज सहारे मोदी सरकार

जनवरी के दौरान इस अतिरिक्त कर्ज के लिए केन्द्र सरकार जनवरी के पहले हफ्ते के दौरान गिल्ट बॉन्ड के जरिए18,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने पर फैसले ले सकती है. कर्ज के जरिए अपना राजकोषीय घाटा पाटने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान टैक्स एकत्र करने और रेवेन्यू पैदा करने के लक्ष्य में विफलता को माना जा रहा है.

गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स में 20 हजार करोड़ और इनडायरेक्ट टैक्स के जरिए कमाई में 25-35 हजार करोड़ रुपये की कमी का अनुमान लगाया है. जीएसटी संग्रह में लगातार दूसरे महीने गिरावट आयी और नवंबर में यह घटकर महज 80,808 करोड़ रुपये रहा. इससे पूर्व महीने में यह 83,000 करोड़ रुपये था. वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार कुल जीएसटी संग्रह 25 दिसंबर तक 80,808 करोड़ रुपये रहा.

जुलाई वाले जीएसटी का वादा?

जुलाई में लागू जीएसटी को अहम आर्थिक सुधार कहा गया. इससे पूरे देश को एक एकीकृत बाजार में बदला जाना था. कारोबारी सुगमता के लिए राज्यों के बीच होने वाला व्यापार बिना किसी बाधा के किया जाता. वहीं इस सुधार में सबसे अहम पक्ष कारोबार में टैक्स चोरी को रोकने की अहम कवायद करते हुए केन्द्र सरकार की कर से आमदनी में बड़ा इजाफा करना था.

लेकिन 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद देशभर के सभी बड़े कारोबारियों को अपना पूरा कारोबार नए टैक्स प्रणाली के तहत रजिस्टर कराने की जरूरत थी. जीएसटी के तहत किसी भी बड़े कारोबारी को अपने पूरे कारोबार का ब्यौरा नियमित तौर पर केन्द्र सरकार को देना था.

कैसे बढ़ती कमाई?

जीएसटी से केंद्र सरकार को देश में हो रही कारोबारी गतिविधियों की 100 फीसदी जानकारी मिलती और कारोबार पर टैक्स आंकलन के काम को टैक्स चोरी से बचाया जा सकता था. वहीं टैक्स के सही आंकलन के चलते केन्द्र सरकार की कमाई में होने वाले बड़े इजाफे से यह भी उम्मीद लगी थी कि इस टैक्स सुधार का सबसे बड़ा फायदा उपभोक्ता को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिलता. पहला, जीएसटी से देश में उपभोक्ता के लिए क्वॉलिटी उत्पाद और सेवा का ढांचा खड़ा होता जिससे सस्ती दरों पर भी उपलब्ध कराने का प्रावधान जीएसटी में मौजूद था.

जीएसटी पर यू-टर्न

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी में उन उत्पादों पर बड़ी रियायत का ऐलान जीएसटी काउंसिल से कराया. इसका सीधा ताल्लुक गुजरात के कारोबार से था. जीएसटी काउंसिल ने 7 अक्टूबर को 27 उत्पादों के टैक्स दर में कटौती का ऐलान किया. इन उत्पादों में सूरत के कपड़ा उद्योग को राहत पहुंचाने और नायलॉन और पॉलिस्टर समेत खाखरा और नमकीन जैसे खाद्य उत्पादों को राहत दी गई जिससे विरोध का सुर कमजोर पड़ जाए. वहीं जीएसटी में टैक्स चोरी रोकने के कई कड़े प्रावधान जैसे नियमित कारोबार का पूरा ब्यौरा देना टैक्स विभाग को देना को हल्का कर दिया गया जिससे कारोबारियों का विरोध खत्म हो जाए.

 

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