गुजरात नहीं जीते तो चौपट हो जाएगा राहुल गांधी का राजनैतिक करियर

नई दिल्ली। राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के घोषित अध्यक्ष बन चुके हैं। बेशक उनकी ताजपोशी अभी हुई हो लेकिन, अनौपचारिक तौर पर वो सालों से पार्टी का कामकाज संभाल रहे हैं। 2014 का लोकसभा चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व मे लड़ा गया था। लेकिन, करारी हार के बाद कोई भी ये हिम्मत नहीं जुटा पाया कि इसका ठीकरा राहुल गांधी के सिर पर फोड़ा जाए। उस वक्त कांग्रेस की करारी शिकस्त का ठीकरा यूपीए टू की सरकार पर फोड़ा गया था। यानी सबकुछ करने के बाद भी मनमोहन सिंह की रुसवाई हुई थी। लेकिन, इस बार राहुल गांधी के पास अब बचने का कोई मौका नहीं हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे राहुल गांधी के राजनैतिक करियर की दिशा तय करेंगे। जीत हुई तो बहुत अच्छा, हार हुई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी राहुल गांधी को ही लेनी होगी। मणिशंकर अय्यर से काम नहीं चलेगा।
राहुल गांधी को लेकर ये सवाल और शक इसलिए भी पैदा हो रहे हैं क्योंकि जब से राहुल गांधी ने कांग्रेस की अनौपचारिक तौर पर कमान संभाली है उन्होंने सिर्फ हार का ही सामना किया है। राहुल के पूरे के पूरे सियासी करियर में सिर्फ और सिर्फ हार ही बसी हुई है। अब तक का इतिहास रहा है राहुल जहां जहां गए हैं कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। क्या ऐसा ही गुजरात में भी होगा सवाल बना हुआ है। अगर इस चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी हारती है तो सीधे तौर पर इसे राहुल गांधी की ही हार माना जाएगा। बेशक राहुल अब परिपक्व नेता के तौर पर दिखाई पड़ते हों। लेकिन, देश की जनता के भीतर उनकी छवि इस वक्त कैसी है इसका भी खुलासा 18 दिसंबर को जाएगा। जाहिर है गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे 2019 की दशा और दिशा भी तय करेंगे।
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